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Friday, 24 January 2014

कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत

 कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत?
Early to bed and early to rise makes a man healthy wealthy and wise

 Hi friends,
हममें से ज्यादातर लोगों ने कभी ना कभी ये कोशिश ज़रूर की होगी कि रोज़ सुबह जल्दी उठा जाये. हो सकता है कि आपमें से कुछ लोग कामयाब भी हुए हों, पर अगर majority की बात की जाये तो वो ऐसी आदत डालने में सफल नहीं हो पाते. लेकिन आज जो article  मैं आपसे share कर रहा हूँ इस पढने के बाद आपकी सफलता की  probability निश्चित रूप से बढ़ जाएगी. यह article इस विषय पर दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़े गए लेखों में से एक का Hindi Translation है. इसे Mr. Steve Pavlina ने लिखा है . इसका  title है “How to become an early riser.“. ये बताना चाहूँगा कि  इन्ही के द्वारा लिखे गए  लेख ”20 मिनट में जानें अपने जीवन का उद्देश्य ” का Hindi version इस ब्लॉग पर सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखों में से एक है.
तो आइये जानें कि हम कैसे डाल सकते हैं सुबह जल्दी उठने की आदत.

 कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत?

It is well to be up before daybreak, for such habits contribute to health, wealth, and wisdom.
   -Aristotle

सूर्योदय  होने  से  पहले  उठाना  अच्छा  होता  है , ऐसी  आदत  आपको  स्वस्थ , समृद्ध  और  बुद्धिमान  बनती  है .
-अरस्तु 
 सुबह  उठने  वाले  लोग  पैदाईशी  ऐसे  होते  हैं  या   ऐसा  बना  जा  सकता  है ? मेरे  case में  तो  निश्चित  रूप  से  मैं  ऐसा  बना  हूँ . जब  मैं  बीस  एक  साल  का  था  तब  शायद  ही  कभी  midnight से  पहले  बिस्तर  पे  जाता  था . और  मैं  लगभग  हमेशा  ही  देर  से  सोता  था. और  अक्सर  मेरी  गतिविधियाँ  दोपहर  से  शुरू  होती  थीं .
पर  कुछ  समय  बाद  मैं  सुबह  उठने  और  successful  होने  के  बीच  के  गहरे  सम्बन्ध  को  ignore नहीं  कर  पाया , अपनी  life में  भी . उन  गिने  – चुने  अवसरों  पर  जब  भी   मैं  जल्दी  उठा  हूँ  तो  मैंने  पाया  है  कि  मेरी  productivity लगभग  हमेशा  ही  ज्यादा  रही  है , सिर्फ  सुबह  के  वक़्त  ही  नहीं  बल्कि  पूरे  दिन . और  मुझे  खुद अच्छा  होने  का  एहसास  भी  हुआ  है . तो  एक  proactive goal-achiever होने  के  नाते  मैंने सुबह  उठने  की  आदत  डालने  का  फैसला  किया . मैंने  अपनी  alarm clock 5 am पर  सेट  कर  दी …
— और  अगली  सुबह  मैं  दोपहर  से  just पहले  उठा .
ह्म्म्म…………
मैंने  फिर  कई  बार  कोशिश  की , पर  कुछ  फायदा  नहीं  हुआ .मुझे  लगा  कि  शायद  मैं  सुबह  उठने  वाली  gene के  बिना  ही  पैदा  हुआ  हूँ . जब  भी  मेरा  alarm बजता  तो  मेरे  मन  में  पहला  ख्याल  यह  आता  कि  मैं  उस  शोर  को  बंद  करूँ  और  सोने  चला  जून . कई  सालों  तक  मैं  ऐसा  ही  करता  रहा , पर  एक  दिन  मेरे  हाथ  एक  sleep research लगी  जिससे  मैंने  जाना  कि  मैं  इस  problem को  गलत  तरीके  से  solve कर  रहा  था . और  जब  मैंने  ये  ideas apply   कीं  तो  मैं  निरंतर  सुबह   उठने  में  कामयाब  होने  लगा .
गलत  strategy के  साथ  सुबह  उठने  की  आदत  डालना  मुश्किल  है  पर  सही  strategy के  साथ  ऐसा  करना  अपेक्षाकृत  आसान  है .
सबसे  common गलत  strategy है  कि  आप  यह  सोचते  हैं  कि  यदि  सुबह  जल्दी  उठाना  है  तो  बिस्तर  पर  जल्दी  जाना  सही  रहेगा . तो  आप  देखते  हैं  कि  आप  कितने  घंटे  की  नीद  लेते  हैं , और  फिर  सभी  चीजों  को  कुछ  गहनते  पहले  खिसका  देते  हैं . यदि  आप  अभी  midnight से  सुबह  8 बजे  तक  सोते  हैं  तो  अब  आप  decide करते  हैं  कि  10pm पर  सोने  जायेंगे  और  6am पर  उठेंगे .  सुनने  में  तर्कसंगत  लगता  है  पर  ज्यदातर  ये  तरीका  काम  नहीं  करता .
ऐसा  लगता  है  कि  sleep patterns को  ले  के  दो  विचारधाराएं हैं . एक  है  कि  आप  हर  रोज़  एक  ही  वक़्त  पर  सोइए  और  उठिए . ये  ऐसा  है  जैसे  कि  दोनों  तरफ  alarm clock लगी  हो —आप  हर  रात  उतने  ही  घंटे  सोने  का  प्रयास  करते  हैं . आधुनिक  समाज  में  जीने  के  लिए  यह  व्यवहारिक  लगता  है . हमें  अपनी  योजना  का  सही  अनुमान  होना  चाहिए . और  हमें  पर्याप्त  आराम  भी  चाहिए .
दूसरी  विचारधारा  कहती  है  कि  आप  अपने  शरीर  की  ज़रुरत  को  सुनिए  और  जब  आप  थक  जायें  तो  सोने  चले  जाइये  और  तब  उठिए  जब  naturally आपकी  नीद  टूटे . इस  approach की  जड़  biology में  है . हमारे  शरीर  को  पता  होना  चाहिए  कि  हमें  कितना  rest चाहिए , इसलिए  हमें  उसे  सुनना  चाहिए .
Trial and error से  मुझे  पता  चला  कि  दोनों  ही  तरीके  पूरी  तरह  से  उचित  sleep patterns नहीं  देते . अगर  आप  productivity की  चिंता  करते  हैं  तो  दोनों  ही  तरीके  गलत  हैं . ये  हैं  उसके  कारण :
यदि  आप  निश्चित  समय  पे  सोते  हैं  तो  कभी -कभी  आप  तब  सोने  चले  जायेंगे  जब  आपको  बहुत  नीद  ना  आ  रही  हो . यदि  आपको  सोने  में  5 मिनट  से  ज्यादा  लग रहे  हों  तो  इसका  मतलब  है  कि  आपको  अभी  ठीक  से  नीद  नहीं  आ  रही  है . आप  बिस्तर  पर  लेटे -लेटे अपना  समय  बर्वाद  कर  रहे  हैं ; सो  नहीं  रहे  हैं . एक  और  problem ये  है  कि  आप  सोचते  हैं  कि  आपको  हर  रोज़  उठने  ही  घंटे  की  नीद  चाहिए , जो  कि  गलत  है . आपको  हर  दिन  एक  बराबर  नीद  की  ज़रुरत  नहीं  होती .
यदि  आप  उतना  सोते  हैं  जितना  की  आपकी  body आपसे  कहती  है  तो  शायद  आपको  जितना  सोना  चाहिए  उससे  ज्यादा  सोएंगे —कई  cases में  कहीं  ज्यादा , हर  हफ्ते  10-15 घंटे  ज्यदा ( एक  पूरे  waking-day के  बराबर ) ज्यादातर  लोग  जो  ऐसे  सोते  हैं  वो  हर  दिन  8+ hrs सोते  हैं , जो  आमतौर  पर  बहुत  ज्यादा  है . और  यदि  आप  रोज़  अलग -अलग  समय  पर  उठ  रहे  हैं  तो  आप  सुबह  की  planning सही  से  नहीं  कर  पाएंगे . और  चूँकि  कभी -कभार  हमारी  natural rhythm घडी से  मैच  नहीं  करती  तो  आप  पायंगे  कि  आपका  सोने  का  समय  आगे  बढ़ता  जा   रहा  है .
मेरे  लिए  दोनों  approaches को  combine करना  कारगर  साबित  हुआ . ये  बहुत  आसान  है , और  बहुत  से  लोग  जो  सुबह  जल्दी  उठते  हैं , वो  बिना  जाने  ही  ऐसा  करते  हैं , पर  मेरे  लिए  तो  यह  एक  mental-breakthrough था . Solution ये  था  की  बिस्तर  पर  तब  जाओ  जब  नीद  आ  रही  हो  ( तभी  जब  नीद  आ  रही  हो ) और  एक  निश्चित  समय  पर  उठो ( हफ्ते  के  सातों  दिन ). इसलिए  मैं  हर  रोज़  एक  ही  समय  पर  उठता  हूँ ( in my case 5 am) पर  मैं  हर  रोज़  अलग -अलग  समय  पर  सोने  जाता  हूँ .
मैं  बिस्तर  पर  तब  जाता  हूँ  जब  मुझे  बहुत  तेज  नीद  आ  रही  हो . मेरा  sleepiness test ये  है  कि  यदि  मैं  कोई  किताब  बिना  ऊँघे  एक -दो  पन्ने  नहीं  पढ़  पाता  हूँ  तो  इसका  मतलब  है  कि  मै  बिस्तर  पर  जाने  के  लिए  तैयार  हूँ .ज्यादातर  मैं  बिस्तर  पे  जाने  के  3 मिनट  के  अन्दर  सो  जाता  हूँ . मैं  आराम  से  लेटता  हूँ  और  मुझे  तुरंत  ही  नीद  आ  जाति  है .  कभी  कभार  मैं  9:30 पे  सोने  चला  जाता  हूँ  और  कई  बार  midnight   तक  जगा  रहता  हूँ . अधिकतर  मैं  10 – 11 pm के  बीच  सोने चला  जाता  हूँ .अगर  मुझे   नीद  नहीं   आ  रही  होती  तो  मैं  तब  तक  जगा  रहता  हूँ  जब  तक  मेरी  आँखें  बंद  ना  होने  लगे . इस  वक़्त  पढना  एक  बहुत  ही  अच्छी activity है , क्योंकि  यह  जानना  आसान  होता  है  कि  अभी  और  पढना  चाहिए  या  अब  सो  जाना  चाहिए .
जब  हर  दिन  मेरा  alarm बजता  है  तो  पहले  मैं  उसे  बंद  करता  हूँ , कुछ  सेकंड्स  तक  stretch करता  हूँ , और  उठ  कर  बैठ  जाता  हूँ . मैं  इसके  बारे  में  सोचता  नहीं . मैंने  ये  सीखा  है  कि  मैं  उठने  में  जितनी  देर  लगाऊंगा ,उतना  अधिक  chance है  कि  मैं  फिर  से  सोने  की  कोशिश  करूँगा .इसलिए  एक  बार  alarm बंद  हो  जाने के  बाद  मैं  अपने  दिमाग  में  ये  वार्तालाप  नहीं  होने  देता  कि  और  देर  तक  सोने  के  क्या  फायदे  हैं . यदि  मैं  सोना  भी  चाहता  हूँ , तो  भी  मैं  तुरंत  उठ  जाता  हूँ .
इस  approach को  कुछ  दिन  तक  use करने  के  बाद  मैंने  पाया  कि  मेरे  sleep patterns एक  natural rhythm में  सेट  हो  गए  हैं . अगर  किसी  रात  मुझे  बहुत  कम  नीद  मिलती  तो  अगली  रात  अपने  आप  ही  मुझे  जल्दी  नीद  आ  जाती  और  मैं  ज्यदा  सोता . और  जब  मुझमे  खूब  energy होती  और  मैं  थका  नहीं  होता  तो  कम  सोता . मेरी  बॉडी  ने  ये  समझ  लिया  कि  कब  मुझे  सोने  के  लिए  भेजना  है  क्योंकि  उसे  पता  है  कि  मैं  हमेशा  उसी  वक़्त  पे  उठूँगा  और  उसमे  कोई  समझौता नहीं  किया  जा  सकता .
इसका  एक  असर ये हुआ कि  मैं  अब  हर  रात  लगभग  90 मिनट  कम  सोता  ,पर  मुझे  feel होता  कि  मैंने  पहले  से ज्यादा  रेस्ट  लिया  है . मैं  अब  जितनी  देर  तक  बिस्तर  पर  होता  करीब  उतने  देर  तक  सो  रहा  होता .
मैंने  पढ़ा  है  कि  ज्यादातर  अनिद्रा  रोगी  वो  लोग  होते  हैं  जो  नीद  आने  से  पहले  ही  बिस्तर  पर  चले  जाते  हैं . यदि  आपको  नीद  ना  आ  रही  हो  और  ऐसा  लगता  हो  कि  आपको  जल्द ही  नीद  नहीं  आ  जाएगी  , तो  उठ  जाइये  और  कुछ  देर  तक  जगे  रहिये . नीद  को  तब  तक  रोकिये  जब  तक  आपकी  body ऐसे  hormones ना  छोड़ने  लगे  जिससे आपको नीद ना आ जाये.अगर  आप  तभी  bed पे  जाएँ  जब  आपको  नीद  आ  रही  हो  और  एक  निश्चित  समय  उठें  तो  आप  insomnia का  इलाज  कर  पाएंगे .पहली  रात  आप  देर  तक  जागेंगे  , पर  बिस्तर  पर  जाते  ही  आपको  नीद  आ  जाएगी . .पहले  दिन  आप  थके  हुए  हो  सकते  हैं  क्योंकि  आप  देर  से  सोये  और  बहुत  जल्दी  उठ  गए , पर  आप  पूरे  दिन  काम  करते  रहेंगे  और  दूसरी  रात  जल्दी  सोने  चले  जायेंगे .कुछ  दिनों  बाद  आप  एक  ऐसे  pattern में  settle हो  जायेंगे  जिसमे  आप  लगभग  एक  ही  समय  बिस्तर  पर  जायंगे  और  तुरंत  सो  जायंगे .
इसलिए   यदि  आप  जल्दी  उठाना  चाहते  हों  तो  ( या  अपने  sleep pattern को  control करना  चाहते  हों ), तो  इस  try करिए :  सोने  तभी  जाइये  जब  आपको  सच -मुच  बहुत  नीद  आ रही  हो  और  हर  दिन  एक  निश्चित  समय  पर  उठिए .
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Note : Despite taking utmost care there could be some mistake in Hindi translation of  “How to become an early riser”
निवेदन : यदि  यह  लेख  आपके लिए लाभप्रद रहा हो तो कृपया  कृपया  comment के  माध्यम  से  मुझे ज़रूर बताएं.और इसे अपने Facebook friends  के साथ ज़रूर share करें .

सफलता की परिभाषा

सफलता की परिभाषा

Hello Friends, Hope You are Fine..
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जरूर पसंद आयी होगी। आज हम इस Post मेँ Success के कुछ Definition
देखेँगे, जो आप सभी के लिये बहूत ही Helpful साबित होँगी। हमारे Blog का
Main purpose आपको एक बेहतर और सफल इंसान बनाना है, आपको सफलता की सीढ़ी
चढ़ाना है।
So first thing हमेँ ये जानना जरूरी है कि सफलता क्या है, और हम अपनेँ Life को किस Unit के Through सफल मान सकते हैँ?
कुछ दिन पहले मैँ English grammar पढ़ रहा था And starting मेँ मैँने
Words को थोड़ा देखा और मैनेँ एक अच्छी बात ये पाई कि कोई भी शब्द(Word),
कई अक्षरोँ (Letters) से मिलकर बना होता है and बहूतोँ के सभी Letters एक
नया Meaning जरूर Generate करते हैँ। For example- COMPUTER.
computer आठ Letters से मिलकर बना है और सभी Letter एक नया Meaning
create करते हैँ। उसी Type से हमनेँ सफलता के लिये भी कुछ Meaning create
किये हैँ
जो आपको जरूर पसंद आयेगी।
'सफलता' चार Letters से मिलकर बनी है।
'स' means 'सोँच।'
'फ' means 'फैसला।'
'ल' means 'लक्ष्य।'
'ता' means 'तालीम।'


(1.) हमारे सोँचने का नजरिया ही हमारी सफलता को तय करता है।
(2.) आज हम जो हैँ, कल हम जो भी होँगे हमारे फैसले के चलते होँगे, So
हमारे फैसला करनेँ का तरीका ही हमारी सफलता तय करती है।
(3.) इस नियम को अपने Success के लिये अपनाना कि 'लक्ष्य बिना, मंजिल
सूना।' और हर दिन अपनेँ Goal को अपनेँ सामनेँ रखना Means उसके बारे मेँ
सोँचते सोँचते ही मेहनत करना। क्योँकि आगे चलकर आपका लक्ष्य ही आपको सही
दिशा तक पहुँचाती है और सफलता तय कराती है।
(4.) तालीम Means एक नई शिक्षा जो आपको Successful लोगोँ से लेनी है, और
उनके गुणोँ को अपनाना है। अपनी गलतियोँ, बुरी आदतोँ से शिक्षा
लेनी है और उन्हेँ Repeat न करके अपनेँ तालीम के Through सफलता तय करनी
है।
.
तो दोस्तोँ सफलता के चारोँ Letters के मतलब जाननेँ के बाद हम उसे इस
प्रकार Define कर सकते हैँ कि "हमेँ सफलता हमारी सोँच, हमारे फैसले,
हमारे लक्ष्य और एक नई तालीम के संयोग से मिलती है।"


सफलता की कुछ परिभाषा-
(1.) अपनेँ मुल्यवान लक्ष्य की निरंतर प्राप्ति का नाम ही सफलता है।
-(अर्ल नाइटिँगैल)
(2.) सफलता एक तरह का खुशनुमा एहसास है जो कि प्रेरणा, इच्छा, निराशा और
परिश्रम का परिणाम है।
(3.) सफलता Means सिर्फ असफल होना नहीँ, बल्कि सफलता का Real meaning
अपनेँ असली मकसद को पाना है अर्थात् पुरा खेल खत्म करना, पुरा युध्द
जीतना न कि छोटी मोटी लड़ाईयाँ जीतना।- (एडविन सी. ब्लिस)
(4.) अच्छी आदतोँ को निरँतर दोहराना और अच्छे आचरण को अपनाना और ये
प्रक्रिया तब तक करना जब तक आप एक सफल आदमी के जितना गुणी न बन जायेँ।
क्योँकि यही सफलता है।
(5.) सफलता की मात्रा कभी कम नहीँ होगी बशर्ते आप ये समझेँ कि देर से
मिली सफलता भी सफलता है। और असफलता के बाद मिली सफलता भी तो सफलता ही है।
(6.) रास्ते मेँ कितनी असफलताएँ मिलेँ, सफलता को ही अपना लक्ष्य बनाईये
क्योँकि असफलता से ही भले आपकी शुरूआत हो लेकिन अंत तो सफलता पर ही होगी।
क्योँकि पड़ाव कठिन होँगे तो मँजिल आसान होगी ही।
...
सफलता Means एक तरह का Enjoyment. आप उन कामोँ को कीजिये जिन्हेँ आप सचमुच एक बड़ा काम समझते हैँ, और वही एक बड़ा काम होगा जिसको करके आप Enjoyment feel करते हैँ।
3 Idiots movie मेँ एक Best बात कही गयी है कि काबिल बनेँ, कामयाबी झक मारकर पीछे आयेगी।
इसलिये सफलता का Simple and best परिभाषा है- जिसमेँ आपकी रूचि है उसी पर पुरा फोकस करके आगे बढ़ेँ आपको जरूर ही सफलता मिलेगी। सफलता का मतलब अपनेँ Main goal को पहचान कर आगे बढ़ना है।
हम Success के लिये एक बहूत Best सिध्दांत use मेँ लाते हैँ और आप भी लाइयेगा कि
"हम ये क्योँ नहीँ सोँचते कि हमेँ हर बार जीतना है,
बल्कि ये क्योँ सोँचते हैँ कि हमेँ जीतना है...."

...

आपको ये Article कैसा लगा Please, Comment के Through जरूर बताइयेगा, और अपनेँ Facebook friends के साथ जरूर Share कीजियेगा।
जल्द ही एक नये Article के साथ मिलेँगे। तब तक आप अपना, अपनेँ Family and society का ख्याल रखेँ।
धन्यवाद!
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विकी खब

आत्मविश्वास

आत्मविश्वास


Hello दोस्तोँ, आशा है आप सब ठीक होँगे।
आज हमारा Topic आत्मविश्वास पर Based है। आज इस Post मेँ हम Self-Confidence के बारे मेँ थोड़ी चर्चा करेँगे।
Friends, Successful बननेँ के लिये जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी होती है वो है हमारा आत्मविश्वास।
First thing आत्मविश्वास क्या है? ये प्रश्न बहुतोँ के मन मेँ उठ रहा होगा।
आत्मविश्वास दो Main words आत्म और विश्वास से मिलकर बना है। आत्म Means स्वयं और विश्वास Means भरोसा। कहनेँ का सीधा मतलब आत्मविश्वास, हमारा, हमारे स्वयं पर होनेँ वाला पुरा भरोसा या विश्वास है।
आज एक आदमी शारीरिक व मानसिक दोनोँ रूप से अस्वस्थ होते हुये भी सफलता के Registor मेँ अपना नाम दर्ज कर देता है और इसका Main Reason आत्मविश्वास ही होता है। Self confidence के चलते ही आज बड़े बड़े Leader महान कार्य करते हैँ। लिँकन जिनको पुरी दुनिया सलाम करती है 15 बार चुनाव हारनेँ के बाद राष्ट्रपति बनेँ और उनके सफलता का Secret और कुछ नहीँ सिर्फ आत्मविश्वास ही था। अपनेँ ऊपर विश्वास के चलते ही आज दिल्ली के वर्तमान C.M. Mr. अरविँद केजरीवाल मुख्यमंत्री बनेँ क्योँकि उन्हेँ पुरा विश्वास था कि वो C.M. जरूर बनेँगे
और देश को पुरा बदल देँगे। And आज पुरी दुनिया उनके काम को सराह रही है, उनके सफलता का Secret और कुछ नहीँ बल्कि सिर्फ Self confidence ही है।
इसमेँ कोई Doubt वाली बात नहीँ है कि सफलता पानेँ पर जिसे विश्वास होता है उसे सफलता जरूर मिलती है।
आत्मविश्वास वो शक्ति है जिससे सफलता की ऐसी गाथा लिखी जा सकती है जो अब तक नहीँ लिखी गई।
आत्मसंशय (Self-doubt)
Means अपनेँ आप पर, स्वयं पर शक करना, संदेह करना। आज एक शारीरिक व मानसिक रूप से Healthy व्यक्ति भी अपनेँ आप पर Doubt करके, अपनेँ आत्मविश्वास की कमी के कारण Success के Registor मेँ अपना नाम दर्ज करवानेँ से चुक जाता है। आज इसी आत्मसंशय की वजह से बहुत लोगोँ के जुबान पर एक बात सुननेँ मेँ आती है कि 'हमसे ये नहीँ होगा, हम नहीँ कर पायेँगे।'
और अपनेँ इस स्वयं पर शक के कारण ही लोगोँ को सफलता नहीँ मिल पाती और Self doubt की वजह से ही असफल हो जाते हैँ। इसलिये दोस्तोँ इस Article को पढ़नेँ के बाद आप इस एक वाक्य "मुझसे ये नहीँ होगा, मैँ नहीँ कर सकता।" इसको अपनी Dictonary से निकाल ही दीजिये यही उचित है और इसके जगह मेँ एक नया वाक्य Use मेँ लाइये कि "मैँ जरूर कर सकता हूँ। कोई दुसरा कर सकता है, सफल हो सकता है तो मैँ क्योँ नहीँ हो सकता।"
आज ही अपनेँ अंदर के सोये हुये विश्वास को जगायेँ। मैँ नीचे कुछ बातेँ आपके सामनेँ रखुँगा जिसको पढ़नेँ के बाद आप मेँ बहूत Changes आयेँगी।

आत्मविश्वास और आत्मसंशय दोनोँ भाई हैँ लेकिन दोनोँ मेँ जमीन आसमान का अंतर है। कैसे देखिये-
(1.) आत्मविश्वास से सफलता आपके हाथ थामेगी और आत्मसंशय से सिर्फ असफलता आपके हाथ लगेगी।
(2.) आत्मविश्वास से आप जो कुछ करना चाहते हैँ कर पायेँगे लेकिन आत्मसंशय से आप बस हाथ मलते रह जायेँगे।
(3.) आत्मविश्वास से जीतनेँ का जुनुन पैदा होगा और आत्मसंदेह से हारनेँ का डर।
(4.) आत्मविश्वास से आप अपनेँ मुँह से हमेशा I CAN शब्द को उपयोग मेँ लायेँगे और आत्मसंशय से आप I Can't शब्द का Use करेँगे।
(5.) आत्मविश्वास से आपकी सफलता मेँ आनेँ वाली बाधायेँ हटेँगी और आत्मसंशय से सफलताओँ मेँ बाधायेँ Create होँगी।
(6.) आत्मसंशय से निराशा हाथ लगेगी और आत्मविश्वास से निराशा कोसोँ दुर रहेगी।
(7.) आत्मविश्वास से आप चलते जायेँगे रूकेँगे नहीँ लेकिन आत्मसंशय से आप कदम बढ़ाकर पीछे हट जायेँगे या कदम तो बढ़ेँगे लेकिन पीछे की ओर।
(8.) आत्मविश्वास से उत्साह पैदा होगा और आत्मसंशय से आप निरोत्साहित, हतोत्साहित होँगे।
(9.) आत्मविश्वास से अपनेँ अंदर प्रसन्नता खुशी पैदा होगी, वहीँ आत्मसंशय से आप टुटनेँ लगेँगे, मुर्झा जायेँगे।
(10.) आत्मविश्वास से Impossible को भी Possible कर पायेँगे लेकिन आत्मसंशय से Possible भी Impossible हो जायेगा।

Friends इन Points को पढ़नेँ के बाद चुनाव आपका है कि आप अपनेँ ऊपर विश्वास करके Successful बनेँगे कि अपनेँ ऊपर Doubt करके असफलता का दामन थामेँगे।
दोस्तोँ आत्मविश्वास को बरकरार रखेँ क्योँ इससे भले ही सफलता देरी मिले लेकिन इतना यकीन से कहता हूँ कि आप असफल तो नहीँ होँगे।
Self confidence को कमजोर होनेँ मत देँ क्योँकि यही आपको चुनौतियोँ से जुझनेँ की हिम्मत देगा आपको सफल बनायेगा। कोई आप पर विश्वास करे या न करे आप अपनेँ आप पर विश्वास करेँ कि हाँ मैँ जरूर सफल होऊँगा और मैँ अपनेँ Confidence को टुटनेँ नहीँ दुँगा।
इस सिध्दांत को अपनायेँ कि
"आत्मविश्वास हमारी वो ताकत, वो शक्ति है जिससे पुरी दुनिया को जीता जा सकता है।"
..

आज स्वामी विवेकानंद जी का जन्मोत्सव दिवस है और युवा दिवस भी है उनके जन्मदिवस के अवसर पर स्वामी जी के एक बात को सभी युवाओँ से कहना चाहूँगा कि-
"Everything is Easy when we are Busy..
and Nothing is Easy when we are Lazy.."

दुनिया मेँ हर चीज आसान है, हर चीज संभव है लेकिन कब जब इंसान अपनेँ आप पर, स्वयं पर विश्वास करके उस काम मेँ व्यस्त हो जिसको करके वो सफलता पाना चाहता है और दुनिया मेँ कुछ भी संभव नहीँ जब इंसान हार मानकर बैठ जाये, और उठे नहीँ, निराश होकर आलसी बन जाये।
....So friends आज उनके जन्मदिवस पर आप अपनेँ आपसे ये Promis करेँ कि आप ऊपर बताये इस कथन का पालन करेँगे और कभी हार नहीँ मानेँगे और डटे रहेँगे।


स्वामी जी के Article पढ़नेँ के लिये आप AKC पर जरूर Visit कीजियेगा। आपको विवेकानंद जी के Best quote (कथन), लेख वहाँ पर मिल जायेंगे।

आपको यह Article कैसे लगा Please comment के Through जरूर बताइयेगा And अपनेँ Facebook friends के साथ जरूर Share कीजियेगा।
जल्द ही आत्मविश्वास के कुछ और Topic के साथ Next article मेँ मिलेँगे। तब तक आप अपना, अपनेँ Family, society का ध्यान रखेँ।
धन्यवाद!
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विकी खबर

संगति

संगति


Hello दोस्तोँ, आशा है आप सब ठीक होँगे।
आज इस Article मेँ हम 'संगति' के Topic पर थोड़ी चर्चा करेँगे And इस पोस्ट को पढ़नेँ के बाद आप स्वयं समझ जायेँगे कि कौन हैँ जो आपकी सफलता मेँ बाधक बनकर खड़े हैँ। और कौन हैँ जो आपको सही रास्ता दिखा सकते हैँ, So lets start..
Friends इस Life मेँ सफल होनेँ के लिये ये बात बहुत ही ज्यादा मायनेँ रखती है कि आपकी संगति कैसी है Means आप कैसे लोगोँ के साथ रहते हैँ, किनके साथ घुमते-फिरते हैँ। हम या आप अपनेँ मम्मी-पापा, भाई-बहन को अपनीँ मर्जी के मुताबिक नहीँ चुन सकते, But इस Life मेँ आपके Friends कैसे हैँ, कौन हैँ? इसको Choose आप ही करते हैँ, चाहकर या न चाहकर भी।
आज हमनेँ कई व्यक्तियोँ के मुँह से एक बात सुनी है कि हम संगति के चलते ही इतनेँ बड़े मुकाम तक पहूँचे हैँ। और कई लोगोँ से ये बातेँ भी सुननेँ मेँ आईँ हैँ कि आज संगति के चलते ही हम सफल नहीँ हो पाये, असफल हो गये।
और इन नतीजोँ पर यदि गौर किया जाये तो एक बात पुरी तरह से साफ है कि आपके सफल और असफल होनेँ मेँ कहीँ न कहीँ संगति का विशेष स्थान जरूर होता है। इंसान जिन लोगोँ के साथ रहता है, धीरे-धीरे
उसके अंदर न चाहकर भी वैसे ही गुण पैदा हो जाते हैँ, चाहे वो गुण अच्छे होँ या बुरे।
कई लोग तो ऐसी बातेँ भी करते हैँ कि हमारा विश्वास इतना मजबुत है जिससे यदि हमारी संगति गलत भी हो पर उनके बुरे गुण हममेँ नहीँ आयेँगे, और वो सोँचते हैँ कि भले ही साथी बुरे होँ लेकिन अपना आचरण तो श्रेष्ठ ही बना रहेगा।
दोस्तोँ मुझे नहीँ लगता कि आप भी ऐसा सोँचते होँगे लेकिन यदि आप ऐसा सोँच रहे हैँ तो हमेँ लगता है कि आपकी सफलता की गाड़ी एकदम Slow ही चलेगी या हो सकता है कि गाड़ी रास्ते मेँ ही बंद पड़ जाये।
बहूत से किताबोँ मेँ आपनेँ पढ़ा ही होगा कि अच्छे आचरण और अच्छे स्वभाव वाले व्यक्ति पर गलत संगत का कोई Effect नहीँ पड़ता But हमेँ लगता है ये बातेँ शायद पुर्णत: सही नहीँ हैँ क्योँकि अच्छे आचरण भले हि आप मेँ होँ लेकिन बुरी संगति के चलते आपको पछताना पड़ सकता है।
यदि आपकी संगति बुरी है तो आप भी बुरी नजर से ही देखे जा सकते हैँ। किसी का मित्र चोर होगा तो भले ही उसनेँ चोरी न की हो But Future मेँ उस पर भी Doubt जरूर किया जायेगा। संगति का इंसान पर बहूत गहरा प्रभाव पड़ता है, यदि आप Positive thinking वाले हैँ लेकिन आपके Friend, Negative सोँच रखनेँ वाले हैँ, तो आगे चलकर आप भी धीरे धीर Negative सोँच रखनेँ वाले बन जायेँगे। यदि आपके दोस्त निराशावादी हैँ तो कल आप भी इसका शिकार हो सकते हैँ।
Friends, यदि आपको पंजाब जाना है तो आप पंजाब जानेँ वाले साथियोँ के साथ ही ट्रेन मेँ बैठेँगे तभी आप पंजाब पहूँचेँगे न कि उड़ीसा जानेँ वाले ट्रेन के साथियोँ के साथ जायेँगे। ठीक उसी प्रकार यदि आप अपनेँ मंजिलोँ को पाना चाहते हैँ, तो आपको उन लोगोँ का साथ चुनना होगा जो आपको अपनी मंजिलोँ को पहूँचानेँ मेँ आपकी मदद करेँ, आपका साथ देँ।

Friends यदि आपको अपनेँ मुकाम, अपनेँ मंजिल तक पहूँचना है तो इन साथियोँ का पुरी तरह से साथ छोड़ना होगा-
(1.) जो आपके Positive thinking को Negative feel करानेँ मेँ ही लगे रहते हैँ।
(2.) जो आपकी गलत आदतोँ पर टोकनेँ की बजाय उल्टा सराहना करते हैँ।
(3.) जो खुद गलत काम करते हैँ, साथ ही इस कार्य मेँ आपकी सहयोग भी मांगते हैँ।
(4.) जो अपनेँ मम्मी-पापा को Respect नहीँ देते, उनका अनादर करते हैँ।
(5.) जो दुसरोँ के बारे मेँ गलत बातेँ करते हैँ, अफवाहेँ फैलाते है और पीठ पीछे बुराई करते हैँ।
(6.) जो दुसरोँ को धोखा देते हैँ और आपसे वफादारी के वादे करते हैँ।
(7.) जो खुद तो बड़ा नहीँ सोँचते और आपकी बड़ी सोँच का मजाक उड़ाते हैँ।
(8.) जिसके लिये इंसानियत, संबंधोँ को कोई Value नहीँ, बल्कि जो सिर्फ पैसोँ को ही Value देता हो।
(9.) जो दुसरोँ की बातेँ कभी न सुनता हो बस अपनी मन मर्जी ही करे।
(10.) जो बार-बार बीते पुरानी गलतियोँ को दुहराकर आपको कमजोर बनाये।
(11.) जो जीवन मेँ अच्छी बात तो सोँचते नहीँ उल्टा अपशब्दोँ का प्रयोग करते रहते हैँ।
(12.) जो आवश्यकता के समय आपकी सही कार्य मेँ मदद करनेँ के बजाय पीठ दिखाकर भाग जाये।

Friends ऊपर बताए गये लोग किसी भी प्रकार के संबंध बनानेँ लायक नहीँ हैँ, आप एक Society मेँ रहनेँ वाले आम लोग ही हैँ न कि संत। यदि संत जैसे महान हैँ तो आप ऐसे लोगोँ को बदलनेँ की कोशिश कर सकते हैँ नहीँ तो इनको छोड़ना या इनसे दुरी बनाना ही बेहतर होगा।

यदि आपको सफल होना है तो ऐसे लोगोँ का चुनाव करना चाहिये जिन्होँने Life मेँ कुछ बड़ा Achieve किया है, जो आपको Success के बारे मेँ कुछ सिखा सकेँ। आप उन लोगोँ के साथ रहिये, उनसे संपर्क बनाइये जो आपको एक अच्छा और सफल इंसान बनानेँ के गुण आपसे Share करेँ। ऐसे लोगोँ से Contact रखेँ जो आपकी हौसला बढ़ायेँ, और आपको सही रास्ता बतायेँ। जीवन मेँ आगे बढ़नेँ के लिये एक Guidelines की जरूरत होती ही है So ऐसे Friends बनायेँ जो टांग खीँचनेँ की बजाय आपकी मदद करेँ न कि केँकड़ा की तरह बनेँ।
Friends यदि आपको अभी तक ऐसे लोगोँ से परिचय नहीँ हुआ जो आपको सही रास्ता बतायेँ तो आप रूकिये मत, घर मेँ बैठकर अवसर का Wait करनेँ के बजाय अपनेँ लक्ष्य की तरफ फोकस कीजिये, आपको कहाँ जाना है इस बारे मेँ Decide करिये And आपको मंजिल तक पहुँचानेँ मेँ कौन Guide कर सकता है उन्हेँ ढुंढिये, परिचय बनाइये क्योँकि किसी को अपनेँ लक्ष्य के बारे मेँ बताकर सुझाव माँगना, किसी की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना, अपनी कोई समस्या बताना कोई शर्मिँदगी की बात नहीँ है। हजार लोगोँ मेँ कोई एक ही होगा जो आपकी मदद न करे या आपको कोई सुझाव न दे।
Friends अब आपकी Responsibility है कि आप कैसे लोगोँ के साथ रहना पसंद करेँगे। 
जिन लोगोँ से आप दुर रहना चाहते हैँ, जो आपकी सफलता मेँ बाधा बन रहे हैँ उनका एक गंभीरतापुर्वक सोँचकर List बनाइये और जो Possible हैँ उन्हेँ छोड़नेँ की कोशिश कीजिये या उनसे सिर्फ काम से काम रखिये। And जो Successful बन चुके हैँ Positive thinking वाले हैँ, जो आपको सही दिशा के बारे मेँ बता सकेँ। उनसे जल्दी से जल्दी Friendship कीजिये और अच्छे संगति Choose करके अपनेँ आपको भी सफल बनाइये।
इस सिध्दांत को अपनाये कि "संगति वो है जो आपकी और दुसरोँ के सफलता की गति को बढ़ाए न कि गति को कम करे।"

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