
कुछ लोगों को अपने ज्ञान और पद का बहुत घमंड
होता है और अपने आगे वे किसी को कुछ नहीं समझते पर सच सिर्फ इतना है कि
दुनिया के हर प्राणी और हर वस्तु से हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिल सकता है.
हम कभी भी यह दावा नहीं कर सकते कि हम सर्व ज्ञानी है और हमें तो सब कुछ
आता है. इसलिए चाहे हम जितने भी बड़े हो जाएँ पर रहते हमेशा एक विद्यार्थी
ही हैं, जिसका सीखना जीवन पर्यंत जारी रहता है.
हमारे जीवन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप
से जुड़ा हर व्यक्ति, हमारे जीवन में घटित होने वाली हर घटना, यह प्रकृति,
इसके सभी प्राणी और पेड़-पौधे बल्कि यूँ कहूँ कि संसार की हर वस्तु हमें कुछ
ना कुछ सिखाती ही हैं. हम सभी ने बचपन में चींटी और मकड़ी की कहानी सुनी
है. एक चींटी ऊँचाई पर चढ़ते समय कई बार गिरती है, लेकिन वह हार कर कभी नहीं
ठहरती बल्कि अपनी कोशिश अनवरत जारी रखती है. तात्पर्य यह है कि एक चींटी
और मकड़ी से मिली सीख भी हमारे जीवन की दिशा बदलने का मादा रखती है.
अतः हमें कभी भी खुद को इतना महान और बड़ा
नहीं समझ लेना चाहिए कि सीखने का हर द्वार हम यह सोचकर बंद कर दें कि हमें
तो सब कुछ आता है, किसी की क्या औकात जो हमें कुछ सिखा और पढ़ा सके. याद
रखिये - सर्वज्ञानी कोई नहीं होता.
कई बार ऐसा होता है कि कोई हमारे विचार से
सहमत नहीं होता और हमारा विरोध करता है, पर इसे सकारात्मक रूप से लिया जाना
चाहिए ना कि यह सोचना चाहिए कि विरोध करने वाला तो हमारा दुश्मन है और
हमसे जलता है. हो सकता है वह हमारा दुश्मन भी हो और हमसे ईर्ष्या भी रखता
हो, पर यह भी जरुरी नहीं कि उसकी कही हर बात गलत ही हो.
रावण के बारे में हम सबने पढ़ा, सुना और देखा
है. वह महाज्ञानी था लेकिन उसके एक गलत विचार से सारी लंका का सर्वनाश हो
गया. उसके शुभचिंतकों ने उसे बहुत समझाया पर अपने अहम् में वह इतना अँधा हो
गया कि उसने किसी की नहीं सुनी. महान से महान ज्ञानी व्यक्ति का भी कोई
विचार गलत हो सकता है. इसलिए कभी भी अहम् में इतना अँधा नहीं होना चाहिए कि
जो हमारा समर्थन करे वे हमें हमारे दोस्त और जो विरोध करे, वे हमें हमारे
दुश्मन नज़र आने लगे. चापलूसों से हमेशा सावधान रहें.
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