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Monday, 24 February 2014

कब तक करते रहेंगे हेल्थ को अनदेखा ?

Health in Hindi
Do you really believe health is wealth?
Friends कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिसे हम जानते हैं कि हमें करना चाहिए पर फिर भी हम नहीं करते . उन्ही में से एक है . “अपनी सेहत पर ध्यान देना .”
हम कहते हैं “Health comes first” , पर हकीकत में हम इसे last preference देते हैं .
हम कहते हैं “Health is wealth”, पर जीते ऐसे हैं मानो “Wealth is health”
हममें से 95% लोग ऐसा ही करते हैं ; और मैं भी उन्ही 95% लोगों में हूँ या कह सकते हैं कि तीन दिन पहले तक था ..जो अपनी health पर ध्यान नहीं देते …. पर अब मैं 5% ध्यान देने वालों के group में jump करना चाहता हूँ . शुरुआत तीन दिन पहले की है , पिछले तीन दिनों से मैं सुबह उठ कर exercise कर रहा हूँ … इसे जारी रख पाऊँ ऐसी उम्मीद करता हूँ , और आज publicly इस बारे में बता कर शायद मैं इस दिशा में और भी मजबूती से बढ़ पाउँगा … let’s see!!!
और ऐसा नहीं है कि ये पहली बार शुरू किया है … पहले भी कई शुरुआत कर चुके हैं पर कुछ दिनों बाद आप जानते ही हैं क्या होता है …. और कैसे नहीं जानेंगे आपके साथ भी तो यही होता आया है … :)
पर मैं इस बार पीछे नहीं हटने वाला , अपनी daily routine में मैं exercise को ज़रूर include करूँगा और तब तक करूँगा जब तक ये brush करने या रोज नहाने जितना आम ना हो जाये …मेरी habit में ना आ जाये …
तो इसके लिए मैं क्या करने वाला हूँ ; इस बारे में बताता हूँ पर उससे पहले आइये समझने की कोशिश करते हैं कि हम अपनी health को ignore क्यों करते रहते हैं :
क्योंकि हमें प्यास लगने पे कुआँ खोदने की आदत है :
 अधिकतर लोग बिजली बिल / टेलीफोन बिल कब जमा करते हैं ….last day पर … जब तक काम सर पर नही आ जाता हम उसे टालते रहते हैं … और यही health के साथ भी होता है ….. चूँकि अभी हमारी health normal है , इसलिए हमे इस और ध्यान देने की कोई urgency नहीं लगती , लगता है सब ठीक ही तो है , फिर अभी walk पे जाने की , jogging करने की क्या जल्दी है कुछ दिन बाद शुरू कर सकते हैं … but as we all know ऐसा हम कई सालों से सोचते आ रहे हैं, पर करते कभी नहीं .
हम सोचते हैं बुरी चीजें दूसरों के साथ ही हो सकती हैं :
Health के case में हम अपना बुरा कभी नहीं सोचते …. हाँ और चीजों में खूब बुरा सोच लेते हैं पर सेहत के मामले में हम अलग हैं …य़े जानते हुए भी की करोड़ों Indian diabetic हैं हम कभी नहीं सोचते की हमारी lazy lifestyle की वजह से हमें भी diabetes हो सकता है … हम इस ओर गलती से भी ध्यान नहीं देते कि अगर लाखों लोगों को young age में ही दिल की बीमारी हो रही है तो कल को हमें भी हो सकती है …मानो हम man नहीं superman हों !!!
हम सोचते हैं कि बाद में भी ध्यान दे दिया तो काम चल जायेगा :
पर ऐसा नहीं है , पहले तो ये “बाद ” जल्दी आता नहीं है , और दूसरा जिस वक़्त हम health को postpone करते जाते हैं उसी वक़्त हम bad health या बीमारी को advance करते जाते हैं . यानि हम खुद को समझा तो लेते हैं कि बाद में cover कर लेंगे पर जिस तरह school में शुरू से पढाई से जी चुराने वाला student कभी अंत में पढ़ कर 100% score नहीं कर पाटा , उसी तरह कोई इंसान सालों तक ignore करने के बाद अंत में ध्यान देने पर 100% health नहीं पा सकता , इसलिए हमे आज से ही इस direction में ध्यान देना चाहिए .
क्योंकि हमारा environment ऐसा है :
अगर आप सुबह walk पर जाएं तो आपको ज्यादातर old age people, या मोटापे से परेशान लोग ही दिखेंगे …ये वो हैं जिन्हे प्यास लग चुकी है , उनकी life में health issues आ चुके हैं …पर जो young हैं …अभी healthy हैं वो नदारद हैं … हमारा कोई दोस्त jogging पे नहीं जाता , gym के दर्शन नहीं करता इसलिए अगर हम नहीं करते तो क्या बुरा करते हैं ….friends, health पर ध्यान न देना दरअसल एक बीमारी है पर चूँकि 95% लोग बीमार हैं इसलिए इसे ही normal life मान लिया गया है …. पर as you know सच्चाई कुछ और ही है !
Well, अब मैं अपना plan बताता हूँ :
बड़ा simple है ; मैंने decide किया है कि मैं सुबह fresh होने के बाद का 30 minute exercise को दूंगा .
फिर चाहे मैं 6 बजे उठूँ या 9 बजे …ज़ब भी उठूंगा 30 minute health को दूंगा …. हम ब्रश के साथ भी तो यही करते हैं , isn’t it? क्या कोई ऐसा भी है जो देर से उठने पर brush नहीं करता …. सभी करते हैं … जब उठते हैं तब करते हैं … और वही मैं exercise के साथ करूँगा ….
इसमें क्या challenges आ सकते हैं ?
इससे मैं office के लिए late हो सकता हूँ …. मेरी आज plan की गयी blog post कल के लिए postpone हो सकती है …अखबार पढ़ने में gap हो सकता है …but let it be… हम हमेशा कहते हैं सेहत से बढ़कर कुछ नहीं , सेहत है तो दौलत है , and all that gyan … पर दिक्कत ये है कि सिर्फ कहते हैं practically कभी apply नहीं करते , इस बार मैं करने जा रहा हूँ …. मैं अपने आसपास मौजूद बीमार लोगों को देख रहा हूँ और मैंने इस बार अंदर से महसूस किया है कि “healthy” रहने से बड़ा और कोई asset हो ही नहीं सकता …
एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ …
एक सेठ था ,वो दिन- रात business बढ़ाने में लगा रहता था , उसका goal था कि उसे शहर का सबसे अमीर आदमी बनना है . धीरे -धीरे उसने ये goal पूरा भी कर लिया , इस कामयाबी की ख़ुशी में उसने एक शानदार घर बनवाया। गृह प्रवेश के दिन उसने एक बहुत बड़ी पार्टी दी और जब सारे मेहमान चले गए तो वो अपने कमरे में सोने के लिए गया .
वो जैसे ही बिस्तर पर लेटा एक आवाज़ उसके कानो में पड़ी ,
” मैं तुम्हारी आत्मा हूँ … और अब मैं तुम्हारा शरीर छोड़ कर जा रही हूँ !!”
सेठ सकते में आ गया और बोला , ” अरे तुम ऐस नहीं कर सकती, तुम चली जाओगी तो मैं तो मर जाऊँगा …देखो मैंने कितनी बड़ी कामयाबी हांसिल की है… तुम्हारे लिए करोड़ों रूपये का घर भी बनवाया है … इतनी सुख -सुविधाएं तुम्हे कहीं नहीं मिलेंगी … यहाँ से मत जाओ …”
आत्मा बोली , ” मेरा घर तो तुम्हारा शरीर था …. पर करोड़ों का घर बनवाने के चक्कर में तुमने इस अमूल्य शरीर का ही नाश कर डाला ,…तुम ठीक से चल नहीं पाते …ऱात को तुम्हे नींद नहीं आती … तुम्हारा दिल भी कमजोर हो चुका है …. तनाव की वजह से ना जाने और कितनी बीमारियों का घर बन चुका है तुम्हारा शरीर …… तुम ही बताओ क्या तुम ऐसे किसी घर में रहना चाहोगे जहाँ चारो तरफ गंदगी हो … जिसकी छत टपक रही हो …. जिसके खिड़की -दरवाजे टूटे हों …., नहीं चाहोगे ना !!! …. इसलिए मैं भी ऐसी जगह नहीं रह सकती ….”
और ऐसा कहते हुए आत्मा सेठ के शरीर से निकल गयी …और सेठ की मृत्यु हो गयी .
Friends, ये कहानी बहुत से लोगों की हकीकत है … मैं ये नहीं कहता की आप अपने goals pursue मत करिये , पर मैं ये ज़रूर कहूंगा कि जो भी करिये Health को सबसे ऊपर रखिये …. नहीं तो सेठ की तरह goal achieve कर लेने के बाद भी अपनी success को enjoy नहीं कर पाएंगे .
अंत में Swami Vivekananda के एक quote से अपनी बात ख़तम करना चाहूंगा …
“You will be nearer to heaven through football than through the study of the Gita.
तुम  गीता  का  अध्ययन  करने  के बजाये फ़ुटबाल  के  जरिये  स्वर्ग  के  ज्यादा  निकट  होगे .”
… गीता पढ़िए …. पर फ़ुटबाल खेलना मत भूलिए …. अपने goal के पीछे दौड़िये पर अपनी health को पीछे मत छोड़िये ….
All the best! :)
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Tuesday, 28 January 2014

नेल्सन मंडेला का प्रेरणादायी जीवन

Nelson Mandela
Nelson Mandela
अब्राहम लिंकन और मार्टिन लूथर किंग के विचारों को मानने वाले, दक्षिण अफ्रिका के गाँधी नेल्सन मंडेला का जन्म बासा नदी के किनारे ट्रांस्की के मवेंजो गाँव में 18 जुलाई, 1918 को हुआ था। माता का नाम नोमजामो विनी मेडीकिजाला था, वे एक मैथडिस्ट थीं। पिता का नाम गेडला हेनरी था। वे गाँव के प्रधान थे। उन्होने बालक का नाम रोहिल्हाला रखा, जिसका अर्थ होता है पेङ की डालियां तोङने वाला या प्यारा शैतान बच्चा। बारह वर्ष की अल्प आयु में उनके सर से पिता का साया उठ गया था। 
नेल्सन मंडेला की प्रारंभिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में एवं स्नातक शिक्षा हेल्डटाउन में हुई थी। ‘हेल्डटाउन’ अश्वेतों के लिए बनाया गया विशेष कॉलेज था। इसी कॉलेज में मंडेला की मुलाकात ‘ऑलिवर टाम्बो’ से हुई, जो जीवन भर उनके दोस्त एवं सहयोगी रहे। 1940 तक नेल्सन मंडेला और ऑलिवर ने कॉलेज कैंपस में अपने राजनैतिक विचारों और क्रियाकलापों से लोकप्रियता अर्जित कर ली थी। कॉलेज प्रशासन को जब इसकी खबर लगी तो दोनो को कॉलेज से निकाल दिया गया।
मंडेला की क्रांति की राह से परिवार बहुत चिंतित रहता था। परिवार ने उनका विवाह करा कर उन्हे जिम्मेदारियों में बाँधने का प्रयास किया परन्तु नेल्सन निजी जीवन को दरकिनार करते हुए घर से भागकर जोहान्सबर्ग चले गये। वहाँ उन्होने सोने की खदान में चौकीदार की नौकरी की एवं वहीं अलेंक्जेंडरा नामक बस्ती में रहने लगे ।  इसके बाद उन्होने एक कानूनी फर्म में लिपिक की नौकरी की। जोहान्सबर्ग में ही उलकी मुलाकात ‘वाटर सिसलु’ और ‘वाटर एल्बरटाइन’ से हुई। नेल्सन के राजनीतिक जीवन पर इन दो मित्रों का अत्यधिक प्रभाव पङा। उन सभी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर ‘अफ्रिकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग’ का गठन किया। 1947 में मंडेला इस संगठन के सचिव चुन लिये गए। इसके साथ ही उन्हे ट्रांन्सवाल एएनसी का अधिकारी भी नियुक्त किया गया। इसी दौरान अफ्रिकन नेशनल कांग्रेस (ANC) के चुनावें में करारी हार का सामना करना पङा। कांग्रेस के अध्यक्ष को हटाकर किसी नये अध्यक्ष की मांग जोर पकङने लगी थी। यूथ कांग्रेस के विचारों को अपनाकर मुख्य पार्टी को आगे बढाने का विचार रखा गया। ‘वाल्टर सिसलू’ ने एक कार्ययोजना का निर्माण किया, जो अफ्रिकन नेशनल कांग्रेस द्वारा मान लिया गया। तद्पश्चात 1951 में नेल्सन को यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष चुन लिया गया।
नेल्सन ने 1952 में कानूनी लङाई लङने के लिए एक कानूनी फर्म की स्थापना की। नेल्सन की बढती लोकप्रियता के कारण उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वर्गभेद के आरोप में उन्हे जोहान्सबर्ग के बाहर भेज दिया गया। उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया कि वे किसी भी बैठक में भाग नही ले सकते। सरकार के दमन चक्र से बचने के लिए नेल्सन और ऑलिवर ने एक एम प्लान बनाया। एम का मतलब मंडेला से था। निर्णय लिया गया कि कांग्रेस को टुकङों में तोङकर काम किया जाए तथा परिस्थिती अनुसार भूमिगत रहकर काम किया जाए। प्रतिबंध के बावजूद नेल्सन क्लिपटाउन चले गये और वहाँ कांग्रेस के जलसों में भाग लेने लगे। उन्होने वहाँ उन सभी संगठनों के साथ काम किया जो अश्वेतों की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष कर रहे थे।
आन्दोलन और नेल्सन जीवन संगी बन गये थे। एएनसी (ANC) ने स्वतंत्रता का चार्टर  स्वीकार  किया और इस कदम ने सरकार का संयम तोङ दिया। पूरे देश में गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया। एएनसी के अध्यक्ष और नेल्सन के साथ पूरे देश से रंगभेद का आंदोलन का समर्थन करने वाले 156 नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। आंदोलन नेतृत्व विहीन हो गया। नेल्सन और उनके साथियों पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया। इस अपराध की सजा मृत्युदंड थी। सभी नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाया गया और 1961 में नेल्सन तथा 29 साथियों को निर्दोष घोषित करते हुए छोङ दिया गया।
सरकार के दमन चक्र के कारण नेल्सन का जनाधार बढ रहा था। रंगभेद सरकार आंदोलन तोङने का हर संभव प्रयास कर रही थी। is बीच कुछ ऐसे कानून पास किये गये जो अश्वेतों के हित में नहीं थे। नेल्सन ने इन कानूनों का विरोध किया। विरोध प्रर्दशन के दौरान ही ‘शार्पविले’ शहर में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियों की बौछार कर दी। लगभग 180 लोग मारे गये। सरकार के इस क्रूर दमन चक्र से नेल्सन का अहिंसा पर से विश्वास उठ गया।अत्यचारों की पराकाष्ठा को देखते हुए एएनसी ने हथियार बंद लङाई लङने का फैसला लिया। एएनसी के लङाके दल का नाम ‘स्पियर ऑफ द नेशन’ रखा गया तथा नेल्सन को इसका अध्यक्ष बनाया गया। सरकार इस संगठन को खत्म करके नेल्सन को गिरफ्तार करना चाहती थी। जिससे बचने के लिए नेल्सन देश के बाहर चले गये और ‘अदीस अबाबा’ में अपने आधारभूत अधिकारों की मांग करने लगे। उसके बाद अल्जीरीया गये जहाँ गोरिल्ला तकनीक का प्रशिक्षण लिया । इसके बाद मंडेला लंदन चले गये जहाँ उनकी मुलाकात फिर से ‘ऑलिवर टॉम्बो’ से हुई। लंदन में विपक्षी दलों के साथ मिलकर उन्होने पूरी दुनिया को अपनी बात समझाने का प्रयास किया। एक बार पुनः वे दक्षिण अफ्रिका पहुँचे जहाँ उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। नेल्सन को पाँच साल की सजा सुनाई गई। उन पर आरोप लगा कि वे अवैधानिक तरीके से देश छोङकर गये थे। सरकार उन्हे क्रांति का नेता नही मान रही थी। इसी दौरान सरकार ने ‘लीलीसलीफ’ में छापा मारकर एमके मुख्यालय को तहस-नहस कर दिया। एमके के सभी बङे नेता गिरफ्तार किये गये और मंडेला समेत सभी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। मंडेला को ‘रोबन द्वीप’ भेजा गया जो दक्षिण अफ्रिका का कालापानी माना जाता है।
1989 को दक्षिण अफ्रिका में सत्ता परिर्वतन हुआ और उदारवादी नेता एफ डब्ल्यू क्लार्क देश के मुखिया बने। उन्होने अश्वेत दलों पर लगा सभी प्रतिबंध हटा दिया। उन सभी बंदियों को रिहा कर दिया गया जिन पर अपराधिक मुकदमा नही चल रहा था। मंडेला की जिंदगी की शाम में आजादी का सूर्य उदय हुआ। 11 फरवरी 1990 को मंडेला पूरी तरह से आजाद हो गये। 1994 देश के पहले लोकतांत्रिक चुनाव में जीत कर दक्षिण अफ्रिका के राष्ट्रपति बने।
आमतौर पर छींटदार शर्ट पहनने वाले नेल्सन मंडेला मजाकिया मिजाज के बेहद हँसमुख व्यक्ति थे। 1993 में ‘नेल्सन मंडेला’ और ‘डी क्लार्क’ दोनो को संयुक्त रूप से शांती के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया। 1990 में भारत ने उन्हे देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया। मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं।
मंडेला बच्चों को बहुत प्यार करते थे। 2002 में उनके पैतृक  गॉव में क्रिसमस की पार्टी में 20,000 से भी ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया था और तीन-चार दिन तक खूब धमाचौकङी मचाई थी। मंडेला एक वकील और मुक्केबाज भी थे। 1998 में एक कार्यक्रम में उन्होने कहा था कि, मुझे इस बात का अफसोस रहेगा कि मैं हेवीवेट मुक्केबाजी का विश्व चैम्पियन खिताब नही जीत पाया।
जेल के दौरान परंपरा अनुसार हर कैदी को नम्बर से जाना जाता है। मंडेला का नम्बर था 46664, ये नम्बर आज भी जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में धङक रहा है। दक्षिण अफ्रिका के बीमार पङे कपङा उद्योग में प्रांण फूंकने के लिए नए लेबल को आकार दिया गया ओर इसे 46664 apparel के नाम से नेल्सन मंडेला को समर्पित किया गया। 2002 में 46664 नामक एक संगठन बनाया गया, जिसने एड्स और एचआईवी के प्रति युवाओं में जागरुकता लाने का अभियान चलाया।
दुनिया भले ही उन्हे नेल्सन मंडेला के नाम से जानती हो किन्तु उनके  पाँच और नाम भी थे। माता-पिता द्वारा रखा पहला नाम रोहिल्हाला, नेल्सन नाम प्राथमिक विद्यालय के एक अध्यापक द्वारा रखा गया था। दक्षिण अफ्रिका में उन्हे मदीबा नाम से जाना जाता है। कुछ लोग उन्हे टाटा या खुलू भी कहते थे, अफ्रिकी भाषा में जिसका अर्थ होता है क्रमशः पिता और दादा होता है। मंडेला को 16 वर्ष की उम्र में डालीभुंगा नाम से भी पुकारा जाता था।
दक्षिण अफ्रिका में रंगभेद विरोधी आंदोलन के पुरोधा, महात्मा गाँधी से प्रेरणा लेने वाले देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का लम्बी बीमारी  के बाद 5 दिसंबर 2013 को निधन हो गया। उनके निधन की खबर उस समय आई जब लंदन के एक हॉल में उनके जीवन पर बनी फिल्म ‘मंडेलाः लांग वॉक टू फ्रीडम’ का प्रीमियर चल रहा था। प्रीमियर समाप्त होने पर सभी को ये खबर फिल्म के निर्माता अंनत सिंह ने दी।
मंडेला अभूतपूर्व और वीर इंसान थे। वो ऐसी शख्सियत थे जिनका जन्मदिन नेल्सन मंडेला अंर्तराष्ट्रीय दिवस के रूप में उनके जीवन काल में ही मनाया जाने लगा था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा था कि, मंडेला संयुक्त राष्ट्र के उच्च आर्दशों के प्रतीक हैं। मंडेला को ये सम्मान शांती स्थापना, रंगभेद उन्मूलन, मानवाधिकारों की रक्षा और लैंगिग समानता की स्थापना के लिए किये गये उनके सतत प्रयासों के लिए दिया गया है।
आज भले ही मंडेला इस नश्वर संसार में नही हैं, लेकिन उनके त्याग और संघर्ष की महागाथा पूरी दुनिया को प्रेरणा देने के लिए जीवित है। नेल्सन मंडेला ने एक ऐसे लेकतांत्रिक और स्वतंत्र समाज की कल्पना की जहाँ सभी लोग शांती से मिलजुल कर रहें और सबको समान अवसर प्राप्त हो। उनका कहना था कि , “जब कोई व्यक्ति अपने देश और लोगों की सेवा को अपने कर्तव्य की तरह निभाता है तो उन्हे शांती मिलती है। मुझे लगता है कि मैने वो कोशिश की है और इसलिए मैं शांती से अंतकाल तक सो सकता हूँ।“
हम इस महान नेता को शत-शत नमन करते हैं।

Friday, 24 January 2014

कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत

 कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत?
Early to bed and early to rise makes a man healthy wealthy and wise

 Hi friends,
हममें से ज्यादातर लोगों ने कभी ना कभी ये कोशिश ज़रूर की होगी कि रोज़ सुबह जल्दी उठा जाये. हो सकता है कि आपमें से कुछ लोग कामयाब भी हुए हों, पर अगर majority की बात की जाये तो वो ऐसी आदत डालने में सफल नहीं हो पाते. लेकिन आज जो article  मैं आपसे share कर रहा हूँ इस पढने के बाद आपकी सफलता की  probability निश्चित रूप से बढ़ जाएगी. यह article इस विषय पर दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़े गए लेखों में से एक का Hindi Translation है. इसे Mr. Steve Pavlina ने लिखा है . इसका  title है “How to become an early riser.“. ये बताना चाहूँगा कि  इन्ही के द्वारा लिखे गए  लेख ”20 मिनट में जानें अपने जीवन का उद्देश्य ” का Hindi version इस ब्लॉग पर सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखों में से एक है.
तो आइये जानें कि हम कैसे डाल सकते हैं सुबह जल्दी उठने की आदत.

 कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत?

It is well to be up before daybreak, for such habits contribute to health, wealth, and wisdom.
   -Aristotle

सूर्योदय  होने  से  पहले  उठाना  अच्छा  होता  है , ऐसी  आदत  आपको  स्वस्थ , समृद्ध  और  बुद्धिमान  बनती  है .
-अरस्तु 
 सुबह  उठने  वाले  लोग  पैदाईशी  ऐसे  होते  हैं  या   ऐसा  बना  जा  सकता  है ? मेरे  case में  तो  निश्चित  रूप  से  मैं  ऐसा  बना  हूँ . जब  मैं  बीस  एक  साल  का  था  तब  शायद  ही  कभी  midnight से  पहले  बिस्तर  पे  जाता  था . और  मैं  लगभग  हमेशा  ही  देर  से  सोता  था. और  अक्सर  मेरी  गतिविधियाँ  दोपहर  से  शुरू  होती  थीं .
पर  कुछ  समय  बाद  मैं  सुबह  उठने  और  successful  होने  के  बीच  के  गहरे  सम्बन्ध  को  ignore नहीं  कर  पाया , अपनी  life में  भी . उन  गिने  – चुने  अवसरों  पर  जब  भी   मैं  जल्दी  उठा  हूँ  तो  मैंने  पाया  है  कि  मेरी  productivity लगभग  हमेशा  ही  ज्यादा  रही  है , सिर्फ  सुबह  के  वक़्त  ही  नहीं  बल्कि  पूरे  दिन . और  मुझे  खुद अच्छा  होने  का  एहसास  भी  हुआ  है . तो  एक  proactive goal-achiever होने  के  नाते  मैंने सुबह  उठने  की  आदत  डालने  का  फैसला  किया . मैंने  अपनी  alarm clock 5 am पर  सेट  कर  दी …
— और  अगली  सुबह  मैं  दोपहर  से  just पहले  उठा .
ह्म्म्म…………
मैंने  फिर  कई  बार  कोशिश  की , पर  कुछ  फायदा  नहीं  हुआ .मुझे  लगा  कि  शायद  मैं  सुबह  उठने  वाली  gene के  बिना  ही  पैदा  हुआ  हूँ . जब  भी  मेरा  alarm बजता  तो  मेरे  मन  में  पहला  ख्याल  यह  आता  कि  मैं  उस  शोर  को  बंद  करूँ  और  सोने  चला  जून . कई  सालों  तक  मैं  ऐसा  ही  करता  रहा , पर  एक  दिन  मेरे  हाथ  एक  sleep research लगी  जिससे  मैंने  जाना  कि  मैं  इस  problem को  गलत  तरीके  से  solve कर  रहा  था . और  जब  मैंने  ये  ideas apply   कीं  तो  मैं  निरंतर  सुबह   उठने  में  कामयाब  होने  लगा .
गलत  strategy के  साथ  सुबह  उठने  की  आदत  डालना  मुश्किल  है  पर  सही  strategy के  साथ  ऐसा  करना  अपेक्षाकृत  आसान  है .
सबसे  common गलत  strategy है  कि  आप  यह  सोचते  हैं  कि  यदि  सुबह  जल्दी  उठाना  है  तो  बिस्तर  पर  जल्दी  जाना  सही  रहेगा . तो  आप  देखते  हैं  कि  आप  कितने  घंटे  की  नीद  लेते  हैं , और  फिर  सभी  चीजों  को  कुछ  गहनते  पहले  खिसका  देते  हैं . यदि  आप  अभी  midnight से  सुबह  8 बजे  तक  सोते  हैं  तो  अब  आप  decide करते  हैं  कि  10pm पर  सोने  जायेंगे  और  6am पर  उठेंगे .  सुनने  में  तर्कसंगत  लगता  है  पर  ज्यदातर  ये  तरीका  काम  नहीं  करता .
ऐसा  लगता  है  कि  sleep patterns को  ले  के  दो  विचारधाराएं हैं . एक  है  कि  आप  हर  रोज़  एक  ही  वक़्त  पर  सोइए  और  उठिए . ये  ऐसा  है  जैसे  कि  दोनों  तरफ  alarm clock लगी  हो —आप  हर  रात  उतने  ही  घंटे  सोने  का  प्रयास  करते  हैं . आधुनिक  समाज  में  जीने  के  लिए  यह  व्यवहारिक  लगता  है . हमें  अपनी  योजना  का  सही  अनुमान  होना  चाहिए . और  हमें  पर्याप्त  आराम  भी  चाहिए .
दूसरी  विचारधारा  कहती  है  कि  आप  अपने  शरीर  की  ज़रुरत  को  सुनिए  और  जब  आप  थक  जायें  तो  सोने  चले  जाइये  और  तब  उठिए  जब  naturally आपकी  नीद  टूटे . इस  approach की  जड़  biology में  है . हमारे  शरीर  को  पता  होना  चाहिए  कि  हमें  कितना  rest चाहिए , इसलिए  हमें  उसे  सुनना  चाहिए .
Trial and error से  मुझे  पता  चला  कि  दोनों  ही  तरीके  पूरी  तरह  से  उचित  sleep patterns नहीं  देते . अगर  आप  productivity की  चिंता  करते  हैं  तो  दोनों  ही  तरीके  गलत  हैं . ये  हैं  उसके  कारण :
यदि  आप  निश्चित  समय  पे  सोते  हैं  तो  कभी -कभी  आप  तब  सोने  चले  जायेंगे  जब  आपको  बहुत  नीद  ना  आ  रही  हो . यदि  आपको  सोने  में  5 मिनट  से  ज्यादा  लग रहे  हों  तो  इसका  मतलब  है  कि  आपको  अभी  ठीक  से  नीद  नहीं  आ  रही  है . आप  बिस्तर  पर  लेटे -लेटे अपना  समय  बर्वाद  कर  रहे  हैं ; सो  नहीं  रहे  हैं . एक  और  problem ये  है  कि  आप  सोचते  हैं  कि  आपको  हर  रोज़  उठने  ही  घंटे  की  नीद  चाहिए , जो  कि  गलत  है . आपको  हर  दिन  एक  बराबर  नीद  की  ज़रुरत  नहीं  होती .
यदि  आप  उतना  सोते  हैं  जितना  की  आपकी  body आपसे  कहती  है  तो  शायद  आपको  जितना  सोना  चाहिए  उससे  ज्यादा  सोएंगे —कई  cases में  कहीं  ज्यादा , हर  हफ्ते  10-15 घंटे  ज्यदा ( एक  पूरे  waking-day के  बराबर ) ज्यादातर  लोग  जो  ऐसे  सोते  हैं  वो  हर  दिन  8+ hrs सोते  हैं , जो  आमतौर  पर  बहुत  ज्यादा  है . और  यदि  आप  रोज़  अलग -अलग  समय  पर  उठ  रहे  हैं  तो  आप  सुबह  की  planning सही  से  नहीं  कर  पाएंगे . और  चूँकि  कभी -कभार  हमारी  natural rhythm घडी से  मैच  नहीं  करती  तो  आप  पायंगे  कि  आपका  सोने  का  समय  आगे  बढ़ता  जा   रहा  है .
मेरे  लिए  दोनों  approaches को  combine करना  कारगर  साबित  हुआ . ये  बहुत  आसान  है , और  बहुत  से  लोग  जो  सुबह  जल्दी  उठते  हैं , वो  बिना  जाने  ही  ऐसा  करते  हैं , पर  मेरे  लिए  तो  यह  एक  mental-breakthrough था . Solution ये  था  की  बिस्तर  पर  तब  जाओ  जब  नीद  आ  रही  हो  ( तभी  जब  नीद  आ  रही  हो ) और  एक  निश्चित  समय  पर  उठो ( हफ्ते  के  सातों  दिन ). इसलिए  मैं  हर  रोज़  एक  ही  समय  पर  उठता  हूँ ( in my case 5 am) पर  मैं  हर  रोज़  अलग -अलग  समय  पर  सोने  जाता  हूँ .
मैं  बिस्तर  पर  तब  जाता  हूँ  जब  मुझे  बहुत  तेज  नीद  आ  रही  हो . मेरा  sleepiness test ये  है  कि  यदि  मैं  कोई  किताब  बिना  ऊँघे  एक -दो  पन्ने  नहीं  पढ़  पाता  हूँ  तो  इसका  मतलब  है  कि  मै  बिस्तर  पर  जाने  के  लिए  तैयार  हूँ .ज्यादातर  मैं  बिस्तर  पे  जाने  के  3 मिनट  के  अन्दर  सो  जाता  हूँ . मैं  आराम  से  लेटता  हूँ  और  मुझे  तुरंत  ही  नीद  आ  जाति  है .  कभी  कभार  मैं  9:30 पे  सोने  चला  जाता  हूँ  और  कई  बार  midnight   तक  जगा  रहता  हूँ . अधिकतर  मैं  10 – 11 pm के  बीच  सोने चला  जाता  हूँ .अगर  मुझे   नीद  नहीं   आ  रही  होती  तो  मैं  तब  तक  जगा  रहता  हूँ  जब  तक  मेरी  आँखें  बंद  ना  होने  लगे . इस  वक़्त  पढना  एक  बहुत  ही  अच्छी activity है , क्योंकि  यह  जानना  आसान  होता  है  कि  अभी  और  पढना  चाहिए  या  अब  सो  जाना  चाहिए .
जब  हर  दिन  मेरा  alarm बजता  है  तो  पहले  मैं  उसे  बंद  करता  हूँ , कुछ  सेकंड्स  तक  stretch करता  हूँ , और  उठ  कर  बैठ  जाता  हूँ . मैं  इसके  बारे  में  सोचता  नहीं . मैंने  ये  सीखा  है  कि  मैं  उठने  में  जितनी  देर  लगाऊंगा ,उतना  अधिक  chance है  कि  मैं  फिर  से  सोने  की  कोशिश  करूँगा .इसलिए  एक  बार  alarm बंद  हो  जाने के  बाद  मैं  अपने  दिमाग  में  ये  वार्तालाप  नहीं  होने  देता  कि  और  देर  तक  सोने  के  क्या  फायदे  हैं . यदि  मैं  सोना  भी  चाहता  हूँ , तो  भी  मैं  तुरंत  उठ  जाता  हूँ .
इस  approach को  कुछ  दिन  तक  use करने  के  बाद  मैंने  पाया  कि  मेरे  sleep patterns एक  natural rhythm में  सेट  हो  गए  हैं . अगर  किसी  रात  मुझे  बहुत  कम  नीद  मिलती  तो  अगली  रात  अपने  आप  ही  मुझे  जल्दी  नीद  आ  जाती  और  मैं  ज्यदा  सोता . और  जब  मुझमे  खूब  energy होती  और  मैं  थका  नहीं  होता  तो  कम  सोता . मेरी  बॉडी  ने  ये  समझ  लिया  कि  कब  मुझे  सोने  के  लिए  भेजना  है  क्योंकि  उसे  पता  है  कि  मैं  हमेशा  उसी  वक़्त  पे  उठूँगा  और  उसमे  कोई  समझौता नहीं  किया  जा  सकता .
इसका  एक  असर ये हुआ कि  मैं  अब  हर  रात  लगभग  90 मिनट  कम  सोता  ,पर  मुझे  feel होता  कि  मैंने  पहले  से ज्यादा  रेस्ट  लिया  है . मैं  अब  जितनी  देर  तक  बिस्तर  पर  होता  करीब  उतने  देर  तक  सो  रहा  होता .
मैंने  पढ़ा  है  कि  ज्यादातर  अनिद्रा  रोगी  वो  लोग  होते  हैं  जो  नीद  आने  से  पहले  ही  बिस्तर  पर  चले  जाते  हैं . यदि  आपको  नीद  ना  आ  रही  हो  और  ऐसा  लगता  हो  कि  आपको  जल्द ही  नीद  नहीं  आ  जाएगी  , तो  उठ  जाइये  और  कुछ  देर  तक  जगे  रहिये . नीद  को  तब  तक  रोकिये  जब  तक  आपकी  body ऐसे  hormones ना  छोड़ने  लगे  जिससे आपको नीद ना आ जाये.अगर  आप  तभी  bed पे  जाएँ  जब  आपको  नीद  आ  रही  हो  और  एक  निश्चित  समय  उठें  तो  आप  insomnia का  इलाज  कर  पाएंगे .पहली  रात  आप  देर  तक  जागेंगे  , पर  बिस्तर  पर  जाते  ही  आपको  नीद  आ  जाएगी . .पहले  दिन  आप  थके  हुए  हो  सकते  हैं  क्योंकि  आप  देर  से  सोये  और  बहुत  जल्दी  उठ  गए , पर  आप  पूरे  दिन  काम  करते  रहेंगे  और  दूसरी  रात  जल्दी  सोने  चले  जायेंगे .कुछ  दिनों  बाद  आप  एक  ऐसे  pattern में  settle हो  जायेंगे  जिसमे  आप  लगभग  एक  ही  समय  बिस्तर  पर  जायंगे  और  तुरंत  सो  जायंगे .
इसलिए   यदि  आप  जल्दी  उठाना  चाहते  हों  तो  ( या  अपने  sleep pattern को  control करना  चाहते  हों ), तो  इस  try करिए :  सोने  तभी  जाइये  जब  आपको  सच -मुच  बहुत  नीद  आ रही  हो  और  हर  दिन  एक  निश्चित  समय  पर  उठिए .
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Note : Despite taking utmost care there could be some mistake in Hindi translation of  “How to become an early riser”
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सफलता की परिभाषा

सफलता की परिभाषा

Hello Friends, Hope You are Fine..
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जरूर पसंद आयी होगी। आज हम इस Post मेँ Success के कुछ Definition
देखेँगे, जो आप सभी के लिये बहूत ही Helpful साबित होँगी। हमारे Blog का
Main purpose आपको एक बेहतर और सफल इंसान बनाना है, आपको सफलता की सीढ़ी
चढ़ाना है।
So first thing हमेँ ये जानना जरूरी है कि सफलता क्या है, और हम अपनेँ Life को किस Unit के Through सफल मान सकते हैँ?
कुछ दिन पहले मैँ English grammar पढ़ रहा था And starting मेँ मैँने
Words को थोड़ा देखा और मैनेँ एक अच्छी बात ये पाई कि कोई भी शब्द(Word),
कई अक्षरोँ (Letters) से मिलकर बना होता है and बहूतोँ के सभी Letters एक
नया Meaning जरूर Generate करते हैँ। For example- COMPUTER.
computer आठ Letters से मिलकर बना है और सभी Letter एक नया Meaning
create करते हैँ। उसी Type से हमनेँ सफलता के लिये भी कुछ Meaning create
किये हैँ
जो आपको जरूर पसंद आयेगी।
'सफलता' चार Letters से मिलकर बनी है।
'स' means 'सोँच।'
'फ' means 'फैसला।'
'ल' means 'लक्ष्य।'
'ता' means 'तालीम।'


(1.) हमारे सोँचने का नजरिया ही हमारी सफलता को तय करता है।
(2.) आज हम जो हैँ, कल हम जो भी होँगे हमारे फैसले के चलते होँगे, So
हमारे फैसला करनेँ का तरीका ही हमारी सफलता तय करती है।
(3.) इस नियम को अपने Success के लिये अपनाना कि 'लक्ष्य बिना, मंजिल
सूना।' और हर दिन अपनेँ Goal को अपनेँ सामनेँ रखना Means उसके बारे मेँ
सोँचते सोँचते ही मेहनत करना। क्योँकि आगे चलकर आपका लक्ष्य ही आपको सही
दिशा तक पहुँचाती है और सफलता तय कराती है।
(4.) तालीम Means एक नई शिक्षा जो आपको Successful लोगोँ से लेनी है, और
उनके गुणोँ को अपनाना है। अपनी गलतियोँ, बुरी आदतोँ से शिक्षा
लेनी है और उन्हेँ Repeat न करके अपनेँ तालीम के Through सफलता तय करनी
है।
.
तो दोस्तोँ सफलता के चारोँ Letters के मतलब जाननेँ के बाद हम उसे इस
प्रकार Define कर सकते हैँ कि "हमेँ सफलता हमारी सोँच, हमारे फैसले,
हमारे लक्ष्य और एक नई तालीम के संयोग से मिलती है।"


सफलता की कुछ परिभाषा-
(1.) अपनेँ मुल्यवान लक्ष्य की निरंतर प्राप्ति का नाम ही सफलता है।
-(अर्ल नाइटिँगैल)
(2.) सफलता एक तरह का खुशनुमा एहसास है जो कि प्रेरणा, इच्छा, निराशा और
परिश्रम का परिणाम है।
(3.) सफलता Means सिर्फ असफल होना नहीँ, बल्कि सफलता का Real meaning
अपनेँ असली मकसद को पाना है अर्थात् पुरा खेल खत्म करना, पुरा युध्द
जीतना न कि छोटी मोटी लड़ाईयाँ जीतना।- (एडविन सी. ब्लिस)
(4.) अच्छी आदतोँ को निरँतर दोहराना और अच्छे आचरण को अपनाना और ये
प्रक्रिया तब तक करना जब तक आप एक सफल आदमी के जितना गुणी न बन जायेँ।
क्योँकि यही सफलता है।
(5.) सफलता की मात्रा कभी कम नहीँ होगी बशर्ते आप ये समझेँ कि देर से
मिली सफलता भी सफलता है। और असफलता के बाद मिली सफलता भी तो सफलता ही है।
(6.) रास्ते मेँ कितनी असफलताएँ मिलेँ, सफलता को ही अपना लक्ष्य बनाईये
क्योँकि असफलता से ही भले आपकी शुरूआत हो लेकिन अंत तो सफलता पर ही होगी।
क्योँकि पड़ाव कठिन होँगे तो मँजिल आसान होगी ही।
...
सफलता Means एक तरह का Enjoyment. आप उन कामोँ को कीजिये जिन्हेँ आप सचमुच एक बड़ा काम समझते हैँ, और वही एक बड़ा काम होगा जिसको करके आप Enjoyment feel करते हैँ।
3 Idiots movie मेँ एक Best बात कही गयी है कि काबिल बनेँ, कामयाबी झक मारकर पीछे आयेगी।
इसलिये सफलता का Simple and best परिभाषा है- जिसमेँ आपकी रूचि है उसी पर पुरा फोकस करके आगे बढ़ेँ आपको जरूर ही सफलता मिलेगी। सफलता का मतलब अपनेँ Main goal को पहचान कर आगे बढ़ना है।
हम Success के लिये एक बहूत Best सिध्दांत use मेँ लाते हैँ और आप भी लाइयेगा कि
"हम ये क्योँ नहीँ सोँचते कि हमेँ हर बार जीतना है,
बल्कि ये क्योँ सोँचते हैँ कि हमेँ जीतना है...."

...

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जल्द ही एक नये Article के साथ मिलेँगे। तब तक आप अपना, अपनेँ Family and society का ख्याल रखेँ।
धन्यवाद!
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विकी खब

आत्मविश्वास

आत्मविश्वास


Hello दोस्तोँ, आशा है आप सब ठीक होँगे।
आज हमारा Topic आत्मविश्वास पर Based है। आज इस Post मेँ हम Self-Confidence के बारे मेँ थोड़ी चर्चा करेँगे।
Friends, Successful बननेँ के लिये जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी होती है वो है हमारा आत्मविश्वास।
First thing आत्मविश्वास क्या है? ये प्रश्न बहुतोँ के मन मेँ उठ रहा होगा।
आत्मविश्वास दो Main words आत्म और विश्वास से मिलकर बना है। आत्म Means स्वयं और विश्वास Means भरोसा। कहनेँ का सीधा मतलब आत्मविश्वास, हमारा, हमारे स्वयं पर होनेँ वाला पुरा भरोसा या विश्वास है।
आज एक आदमी शारीरिक व मानसिक दोनोँ रूप से अस्वस्थ होते हुये भी सफलता के Registor मेँ अपना नाम दर्ज कर देता है और इसका Main Reason आत्मविश्वास ही होता है। Self confidence के चलते ही आज बड़े बड़े Leader महान कार्य करते हैँ। लिँकन जिनको पुरी दुनिया सलाम करती है 15 बार चुनाव हारनेँ के बाद राष्ट्रपति बनेँ और उनके सफलता का Secret और कुछ नहीँ सिर्फ आत्मविश्वास ही था। अपनेँ ऊपर विश्वास के चलते ही आज दिल्ली के वर्तमान C.M. Mr. अरविँद केजरीवाल मुख्यमंत्री बनेँ क्योँकि उन्हेँ पुरा विश्वास था कि वो C.M. जरूर बनेँगे
और देश को पुरा बदल देँगे। And आज पुरी दुनिया उनके काम को सराह रही है, उनके सफलता का Secret और कुछ नहीँ बल्कि सिर्फ Self confidence ही है।
इसमेँ कोई Doubt वाली बात नहीँ है कि सफलता पानेँ पर जिसे विश्वास होता है उसे सफलता जरूर मिलती है।
आत्मविश्वास वो शक्ति है जिससे सफलता की ऐसी गाथा लिखी जा सकती है जो अब तक नहीँ लिखी गई।
आत्मसंशय (Self-doubt)
Means अपनेँ आप पर, स्वयं पर शक करना, संदेह करना। आज एक शारीरिक व मानसिक रूप से Healthy व्यक्ति भी अपनेँ आप पर Doubt करके, अपनेँ आत्मविश्वास की कमी के कारण Success के Registor मेँ अपना नाम दर्ज करवानेँ से चुक जाता है। आज इसी आत्मसंशय की वजह से बहुत लोगोँ के जुबान पर एक बात सुननेँ मेँ आती है कि 'हमसे ये नहीँ होगा, हम नहीँ कर पायेँगे।'
और अपनेँ इस स्वयं पर शक के कारण ही लोगोँ को सफलता नहीँ मिल पाती और Self doubt की वजह से ही असफल हो जाते हैँ। इसलिये दोस्तोँ इस Article को पढ़नेँ के बाद आप इस एक वाक्य "मुझसे ये नहीँ होगा, मैँ नहीँ कर सकता।" इसको अपनी Dictonary से निकाल ही दीजिये यही उचित है और इसके जगह मेँ एक नया वाक्य Use मेँ लाइये कि "मैँ जरूर कर सकता हूँ। कोई दुसरा कर सकता है, सफल हो सकता है तो मैँ क्योँ नहीँ हो सकता।"
आज ही अपनेँ अंदर के सोये हुये विश्वास को जगायेँ। मैँ नीचे कुछ बातेँ आपके सामनेँ रखुँगा जिसको पढ़नेँ के बाद आप मेँ बहूत Changes आयेँगी।

आत्मविश्वास और आत्मसंशय दोनोँ भाई हैँ लेकिन दोनोँ मेँ जमीन आसमान का अंतर है। कैसे देखिये-
(1.) आत्मविश्वास से सफलता आपके हाथ थामेगी और आत्मसंशय से सिर्फ असफलता आपके हाथ लगेगी।
(2.) आत्मविश्वास से आप जो कुछ करना चाहते हैँ कर पायेँगे लेकिन आत्मसंशय से आप बस हाथ मलते रह जायेँगे।
(3.) आत्मविश्वास से जीतनेँ का जुनुन पैदा होगा और आत्मसंदेह से हारनेँ का डर।
(4.) आत्मविश्वास से आप अपनेँ मुँह से हमेशा I CAN शब्द को उपयोग मेँ लायेँगे और आत्मसंशय से आप I Can't शब्द का Use करेँगे।
(5.) आत्मविश्वास से आपकी सफलता मेँ आनेँ वाली बाधायेँ हटेँगी और आत्मसंशय से सफलताओँ मेँ बाधायेँ Create होँगी।
(6.) आत्मसंशय से निराशा हाथ लगेगी और आत्मविश्वास से निराशा कोसोँ दुर रहेगी।
(7.) आत्मविश्वास से आप चलते जायेँगे रूकेँगे नहीँ लेकिन आत्मसंशय से आप कदम बढ़ाकर पीछे हट जायेँगे या कदम तो बढ़ेँगे लेकिन पीछे की ओर।
(8.) आत्मविश्वास से उत्साह पैदा होगा और आत्मसंशय से आप निरोत्साहित, हतोत्साहित होँगे।
(9.) आत्मविश्वास से अपनेँ अंदर प्रसन्नता खुशी पैदा होगी, वहीँ आत्मसंशय से आप टुटनेँ लगेँगे, मुर्झा जायेँगे।
(10.) आत्मविश्वास से Impossible को भी Possible कर पायेँगे लेकिन आत्मसंशय से Possible भी Impossible हो जायेगा।

Friends इन Points को पढ़नेँ के बाद चुनाव आपका है कि आप अपनेँ ऊपर विश्वास करके Successful बनेँगे कि अपनेँ ऊपर Doubt करके असफलता का दामन थामेँगे।
दोस्तोँ आत्मविश्वास को बरकरार रखेँ क्योँ इससे भले ही सफलता देरी मिले लेकिन इतना यकीन से कहता हूँ कि आप असफल तो नहीँ होँगे।
Self confidence को कमजोर होनेँ मत देँ क्योँकि यही आपको चुनौतियोँ से जुझनेँ की हिम्मत देगा आपको सफल बनायेगा। कोई आप पर विश्वास करे या न करे आप अपनेँ आप पर विश्वास करेँ कि हाँ मैँ जरूर सफल होऊँगा और मैँ अपनेँ Confidence को टुटनेँ नहीँ दुँगा।
इस सिध्दांत को अपनायेँ कि
"आत्मविश्वास हमारी वो ताकत, वो शक्ति है जिससे पुरी दुनिया को जीता जा सकता है।"
..

आज स्वामी विवेकानंद जी का जन्मोत्सव दिवस है और युवा दिवस भी है उनके जन्मदिवस के अवसर पर स्वामी जी के एक बात को सभी युवाओँ से कहना चाहूँगा कि-
"Everything is Easy when we are Busy..
and Nothing is Easy when we are Lazy.."

दुनिया मेँ हर चीज आसान है, हर चीज संभव है लेकिन कब जब इंसान अपनेँ आप पर, स्वयं पर विश्वास करके उस काम मेँ व्यस्त हो जिसको करके वो सफलता पाना चाहता है और दुनिया मेँ कुछ भी संभव नहीँ जब इंसान हार मानकर बैठ जाये, और उठे नहीँ, निराश होकर आलसी बन जाये।
....So friends आज उनके जन्मदिवस पर आप अपनेँ आपसे ये Promis करेँ कि आप ऊपर बताये इस कथन का पालन करेँगे और कभी हार नहीँ मानेँगे और डटे रहेँगे।


स्वामी जी के Article पढ़नेँ के लिये आप AKC पर जरूर Visit कीजियेगा। आपको विवेकानंद जी के Best quote (कथन), लेख वहाँ पर मिल जायेंगे।

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जल्द ही आत्मविश्वास के कुछ और Topic के साथ Next article मेँ मिलेँगे। तब तक आप अपना, अपनेँ Family, society का ध्यान रखेँ।
धन्यवाद!
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विकी खबर

संगति

संगति


Hello दोस्तोँ, आशा है आप सब ठीक होँगे।
आज इस Article मेँ हम 'संगति' के Topic पर थोड़ी चर्चा करेँगे And इस पोस्ट को पढ़नेँ के बाद आप स्वयं समझ जायेँगे कि कौन हैँ जो आपकी सफलता मेँ बाधक बनकर खड़े हैँ। और कौन हैँ जो आपको सही रास्ता दिखा सकते हैँ, So lets start..
Friends इस Life मेँ सफल होनेँ के लिये ये बात बहुत ही ज्यादा मायनेँ रखती है कि आपकी संगति कैसी है Means आप कैसे लोगोँ के साथ रहते हैँ, किनके साथ घुमते-फिरते हैँ। हम या आप अपनेँ मम्मी-पापा, भाई-बहन को अपनीँ मर्जी के मुताबिक नहीँ चुन सकते, But इस Life मेँ आपके Friends कैसे हैँ, कौन हैँ? इसको Choose आप ही करते हैँ, चाहकर या न चाहकर भी।
आज हमनेँ कई व्यक्तियोँ के मुँह से एक बात सुनी है कि हम संगति के चलते ही इतनेँ बड़े मुकाम तक पहूँचे हैँ। और कई लोगोँ से ये बातेँ भी सुननेँ मेँ आईँ हैँ कि आज संगति के चलते ही हम सफल नहीँ हो पाये, असफल हो गये।
और इन नतीजोँ पर यदि गौर किया जाये तो एक बात पुरी तरह से साफ है कि आपके सफल और असफल होनेँ मेँ कहीँ न कहीँ संगति का विशेष स्थान जरूर होता है। इंसान जिन लोगोँ के साथ रहता है, धीरे-धीरे
उसके अंदर न चाहकर भी वैसे ही गुण पैदा हो जाते हैँ, चाहे वो गुण अच्छे होँ या बुरे।
कई लोग तो ऐसी बातेँ भी करते हैँ कि हमारा विश्वास इतना मजबुत है जिससे यदि हमारी संगति गलत भी हो पर उनके बुरे गुण हममेँ नहीँ आयेँगे, और वो सोँचते हैँ कि भले ही साथी बुरे होँ लेकिन अपना आचरण तो श्रेष्ठ ही बना रहेगा।
दोस्तोँ मुझे नहीँ लगता कि आप भी ऐसा सोँचते होँगे लेकिन यदि आप ऐसा सोँच रहे हैँ तो हमेँ लगता है कि आपकी सफलता की गाड़ी एकदम Slow ही चलेगी या हो सकता है कि गाड़ी रास्ते मेँ ही बंद पड़ जाये।
बहूत से किताबोँ मेँ आपनेँ पढ़ा ही होगा कि अच्छे आचरण और अच्छे स्वभाव वाले व्यक्ति पर गलत संगत का कोई Effect नहीँ पड़ता But हमेँ लगता है ये बातेँ शायद पुर्णत: सही नहीँ हैँ क्योँकि अच्छे आचरण भले हि आप मेँ होँ लेकिन बुरी संगति के चलते आपको पछताना पड़ सकता है।
यदि आपकी संगति बुरी है तो आप भी बुरी नजर से ही देखे जा सकते हैँ। किसी का मित्र चोर होगा तो भले ही उसनेँ चोरी न की हो But Future मेँ उस पर भी Doubt जरूर किया जायेगा। संगति का इंसान पर बहूत गहरा प्रभाव पड़ता है, यदि आप Positive thinking वाले हैँ लेकिन आपके Friend, Negative सोँच रखनेँ वाले हैँ, तो आगे चलकर आप भी धीरे धीर Negative सोँच रखनेँ वाले बन जायेँगे। यदि आपके दोस्त निराशावादी हैँ तो कल आप भी इसका शिकार हो सकते हैँ।
Friends, यदि आपको पंजाब जाना है तो आप पंजाब जानेँ वाले साथियोँ के साथ ही ट्रेन मेँ बैठेँगे तभी आप पंजाब पहूँचेँगे न कि उड़ीसा जानेँ वाले ट्रेन के साथियोँ के साथ जायेँगे। ठीक उसी प्रकार यदि आप अपनेँ मंजिलोँ को पाना चाहते हैँ, तो आपको उन लोगोँ का साथ चुनना होगा जो आपको अपनी मंजिलोँ को पहूँचानेँ मेँ आपकी मदद करेँ, आपका साथ देँ।

Friends यदि आपको अपनेँ मुकाम, अपनेँ मंजिल तक पहूँचना है तो इन साथियोँ का पुरी तरह से साथ छोड़ना होगा-
(1.) जो आपके Positive thinking को Negative feel करानेँ मेँ ही लगे रहते हैँ।
(2.) जो आपकी गलत आदतोँ पर टोकनेँ की बजाय उल्टा सराहना करते हैँ।
(3.) जो खुद गलत काम करते हैँ, साथ ही इस कार्य मेँ आपकी सहयोग भी मांगते हैँ।
(4.) जो अपनेँ मम्मी-पापा को Respect नहीँ देते, उनका अनादर करते हैँ।
(5.) जो दुसरोँ के बारे मेँ गलत बातेँ करते हैँ, अफवाहेँ फैलाते है और पीठ पीछे बुराई करते हैँ।
(6.) जो दुसरोँ को धोखा देते हैँ और आपसे वफादारी के वादे करते हैँ।
(7.) जो खुद तो बड़ा नहीँ सोँचते और आपकी बड़ी सोँच का मजाक उड़ाते हैँ।
(8.) जिसके लिये इंसानियत, संबंधोँ को कोई Value नहीँ, बल्कि जो सिर्फ पैसोँ को ही Value देता हो।
(9.) जो दुसरोँ की बातेँ कभी न सुनता हो बस अपनी मन मर्जी ही करे।
(10.) जो बार-बार बीते पुरानी गलतियोँ को दुहराकर आपको कमजोर बनाये।
(11.) जो जीवन मेँ अच्छी बात तो सोँचते नहीँ उल्टा अपशब्दोँ का प्रयोग करते रहते हैँ।
(12.) जो आवश्यकता के समय आपकी सही कार्य मेँ मदद करनेँ के बजाय पीठ दिखाकर भाग जाये।

Friends ऊपर बताए गये लोग किसी भी प्रकार के संबंध बनानेँ लायक नहीँ हैँ, आप एक Society मेँ रहनेँ वाले आम लोग ही हैँ न कि संत। यदि संत जैसे महान हैँ तो आप ऐसे लोगोँ को बदलनेँ की कोशिश कर सकते हैँ नहीँ तो इनको छोड़ना या इनसे दुरी बनाना ही बेहतर होगा।

यदि आपको सफल होना है तो ऐसे लोगोँ का चुनाव करना चाहिये जिन्होँने Life मेँ कुछ बड़ा Achieve किया है, जो आपको Success के बारे मेँ कुछ सिखा सकेँ। आप उन लोगोँ के साथ रहिये, उनसे संपर्क बनाइये जो आपको एक अच्छा और सफल इंसान बनानेँ के गुण आपसे Share करेँ। ऐसे लोगोँ से Contact रखेँ जो आपकी हौसला बढ़ायेँ, और आपको सही रास्ता बतायेँ। जीवन मेँ आगे बढ़नेँ के लिये एक Guidelines की जरूरत होती ही है So ऐसे Friends बनायेँ जो टांग खीँचनेँ की बजाय आपकी मदद करेँ न कि केँकड़ा की तरह बनेँ।
Friends यदि आपको अभी तक ऐसे लोगोँ से परिचय नहीँ हुआ जो आपको सही रास्ता बतायेँ तो आप रूकिये मत, घर मेँ बैठकर अवसर का Wait करनेँ के बजाय अपनेँ लक्ष्य की तरफ फोकस कीजिये, आपको कहाँ जाना है इस बारे मेँ Decide करिये And आपको मंजिल तक पहुँचानेँ मेँ कौन Guide कर सकता है उन्हेँ ढुंढिये, परिचय बनाइये क्योँकि किसी को अपनेँ लक्ष्य के बारे मेँ बताकर सुझाव माँगना, किसी की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना, अपनी कोई समस्या बताना कोई शर्मिँदगी की बात नहीँ है। हजार लोगोँ मेँ कोई एक ही होगा जो आपकी मदद न करे या आपको कोई सुझाव न दे।
Friends अब आपकी Responsibility है कि आप कैसे लोगोँ के साथ रहना पसंद करेँगे। 
जिन लोगोँ से आप दुर रहना चाहते हैँ, जो आपकी सफलता मेँ बाधा बन रहे हैँ उनका एक गंभीरतापुर्वक सोँचकर List बनाइये और जो Possible हैँ उन्हेँ छोड़नेँ की कोशिश कीजिये या उनसे सिर्फ काम से काम रखिये। And जो Successful बन चुके हैँ Positive thinking वाले हैँ, जो आपको सही दिशा के बारे मेँ बता सकेँ। उनसे जल्दी से जल्दी Friendship कीजिये और अच्छे संगति Choose करके अपनेँ आपको भी सफल बनाइये।
इस सिध्दांत को अपनाये कि "संगति वो है जो आपकी और दुसरोँ के सफलता की गति को बढ़ाए न कि गति को कम करे।"

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विकी खबर

Monday, 20 January 2014

अधिकतर लोग नहीं जानते, कैसे और कौन हैं 33 करोड़ देवी-देवता

उज्जैन। आमतौर एक प्राचीन धारणा है कि हमारे 33 करोड़ देवी-देवता हैं, यानी देवी-देवताओं की संख्या 33 करोड़ बताई जाती है। ये बात कम ही लोग जानते हैं कि 33 करोड़ देवी-देवता कैसे बताए गए हैं और इनमें कौन-कौन से देवता शामिल हैं।
शास्त्रों के अनुसार देवताओं की संख्या 33 कोटि बताई गई हैं। यहां कोटि शब्द का अर्थ है प्रकार, यानी 33 प्रकार के देवता बताए गए हैं। इसी शब्द 33 कोटि को 33 करोड़ माना जाने लगा है।
पुराने समय से ही 33 कोटि देवता की गणना 33 करोड़ देवी-देवताओं के रूप में की जाती रही है। इन 33 कोटियों में आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। इन्हीं देवताओं को 33 करोड़ देवी-देवता माना गया है।
यहां इंद्र और प्रजापति के स्थान पर कुछ विद्वानों द्वारा दो अश्विनी कुमारों को शामिल किया जाता है।
इस प्रकार कुल 33 करोड़ देवता नहीं हैं बल्कि 33 प्रकार के प्रमुख देवता बताए गए हैं।
ये हैं 12 आदित्य के नाम
- धाता
- मित
- अर्यमा
- शक्र
- वरुण
- अंश
- भग
- विवस्वान
- पूषा
- सविता
- त्वष्टा
- विष्णु
ये हैं अष्ट वसु के नाम
- धर
- ध्रुव
- सोम
- अह
- अनिल
- अनल
- प्रत्युष
- प्रभाष
ये हैं ग्यारह रुद्र
- हर
- बहुरूप
- त्र्यम्बक
- अपराजिता
- वृषाकपि
- शम्भू
- कपर्दी
- रेवत
- म्रग्व्यध
- शर्व
- कपाली

 बारह आदित्य, ग्यारह रुद्र और अष्ट वसु के साथ ही 2 अश्विनी कुमार हैं। इन सभी देवताओं की संख्या का योग 33 है और इन्हीं 33 प्रकार के देवताओं को 33 करोड़ देवी-देवता माना जाता है। कोटि शब्द के दो अर्थ हैं पहला है करोड़ और दूसरा अर्थ है प्रकार। अत: यहां कोटि शब्द का अर्थ करोड़ माना जाने लगा, जिससे देवताओं की संख्या 33 करोड़ हो गई।
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Friday, 17 January 2014

तुम बनोगे CEO...../motivational-stories

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एक बहुत बड़ी company के CEO जल्द ही retire होने वाले थे.
वो इस company को बहुत ही मेहनत से इस मुकाम पर लाये थे. इसलिए वो चाहते थे की किसी काबिल व्यक्ति को ही अपना उत्तराधिकारी बनाए.
इसके लिए उन्होंने अपने company में कार्य करने वाले सभी होनहार युवाओं की एक मीटिंग बुलाई.
उन्होंने उस मीटिंग में सभी को एक-एक पोधे का बीज दिया.
और कहा- ” इस बीज को आप लोग घर ले जाकर एक गमले में रोपे, इसकी देखभाल करें, इसे पानी दे, नियमित धूप दे, और एक साल बाद जिसका भी पौधा सबसे अच्छा होगा. उसे company का भावी CEO नियुक्त किया जाएगा.
सभी कार्यकर्ता इस बात से बहुत खुश हुए, सभी को यकीन था की वो ही इस प्रतियोगिता में विजय होगे.
इन्ही में से एक काबिल नौजवान लड़की थी ‘भावना’. उसे भी इसमें बड़ा interest आया.
जैसे ही ऑफिस से छुट्टी हुई, वो रास्ते में एक छोटा प्यारा गमला ख़रीद लायी. और घर जाते ही उस बीज को उस गमले में रोप दिया.
उसने अपने पापा को भी सारी बात बताई. और उसके पापा भी उसके साथ खुश हुए. पर उन्होंने उसे ये भी सलाह दी की वो अपने काम पर भी पूरा ध्यान दे. इस बीज के साथ साथ, अपने office के हर कार्य को संपूर्ण लगन से करे..
कुछ दिन बीत गए.. भावना रोज गमले में पानी देती, उसका पूरा ध्यान रखती. पर उसमे से कुछ भी नहीं निकलता.
1 हफ्ता गुजरा, 2 हफ़्ते गुजरे, 1 महीना हो गया.. पर वो बीज अंकुरित नहीं हुआ..
भावना बहुत उदास हुई.. पर वो अपने काम में मन लगाये हुए थी..
6 महीने बाद भावना ने अपने बचपन के दोस्त से शादी कर ली.. और अपने नए घर में अपना गमला भी लेकर आई..
समय बीतता गया.. गमले में कुछ भी नहीं उगा.. भावना को रोज गमले में पानी डालते देख, उसके पति ने भी उससे सवाल किया की आखिर ये है क्या?
तब उसने उसे सबकुछ बता दिया. उसने भावना को परेशान न होने की सलाह दी और काम करते रहने को कहा..
धीरे धीरे वो दिन भी आ गया. जब सभी को company में अपने अपने पौधे लेकर आने थे.
भावना ने अपने पति से कहा की वो इस ख़ाली गमले के साथ company नहीं जा सकती. ऐसे तो उसकी बहुत बैज्ज़ती होगी.
उसके पति ने उसे समझाया की उसे honest रहना चाहिए. और जो हुआ उसे फेस करना चाहिए.
भावना ख़ाली गमला लेकर company गयी.
उसे इस तरह देख सभी ने उसका मजाक उड़ाया. तभी meeting start हो गयी. company के CEO ने सभी के हरे भरे गमले देख फक्र से कहा, “मुझे आप सभी पर गर्व है. आपने अपने पौधों का बहुत ही अच्छा ख्याल रखा है.”
पर जैसे ही भावना का गमला देखा.. उन्होंने उससे पूछा की आखिर उसका गमला ख़ाली क्यों है?
भावना ने उन्हें सबकुछ सच सच बता दिया.
CEO ने भावना को छोड़ सभी को बैठने के लिए कहा.
और announce किया “आज से आपकी नयी CEO है भावना शर्मा
सभी हैरान हो गए.
“आखिर ये CEO कैसे बन सकती है? इसका तो पौधा उगा भी नहीं.” सभी ने सवाल उठाये.
तब वृद्ध CEO ने कहा- “दरअसल, एक साल पहले मैंने आप सभी को जो बीज दिए थे. वो उबले हुए थे. उनमे जान ही नहीं थी. उनमे से पौधा उगाया ही नहीं जा सकता था. केवल भावना ने ही सच्चाई सामने रखी. और इसीलिए यही CEO पद की असली हक़दार है.”

मैंने अपनी इस छोटी सी life में बहुत सारे छोटे बड़े झूट बोले होगे. पर मैं सभी को स्वीकार भी करता हूँ की “हाँ, मैंने ऐसा किया.”
सभी को ऐसा करना चाहिए. सच बेहतर होता है.

आपको ये कहानी कैसी लगी? 
हमे comments में जरुर बताये.

प्रेरक प्रसंग of महात्मा गांधी in हिंदी

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प्रेरक  प्रसंग  of महात्मा  गांधी  in हिंदी
 
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(1) 

एक बार गांधीजी एक विद्यालय में गए. उस समय वे केवल लंगोटी ही पहनते थे. विद्यालय का एक बच्चा उनसे कुछ पूछना चाहता था. लेकिन उनके टीचर ने उसे चुप करवा दिया. गांधी जी ने यह देख लिया. वे उस विद्यार्थी के पास पहुंचे और पूछा, ‘तुम कुछ कहना चाहते हो ? ‘ बालक ने कहा, ‘हाँ ! आपने कुर्ता क्यों नहीं पहन रखा है ? मैं अपनी माँ से कहूँगा कि वह आपके लिए कुरता सिल दें. आप पहनोगे ना ?’ 

गांधी जी ने कहा, ‘ मैं जरुर पहनूंगा लेकिन मैं अकेला नहीं हूँ. ‘ बालक ने कहा, ‘ तब तो मैं दो कुर्ते सिलवा दूंगा. ‘ बापू बोले, ‘ मेरे चालीस करोड़ भाई-बहन हैं. क्या तुम्हारी माँ इतने कुर्ते सिल सकती है ?’ 

उस समय हमारे देश की जनसँख्या चालीस करोड़ थी. बापू बच्चे की पीठ थपथपाकर आगे बढ़ गए. 

(2) 

एक बार गांधीजी आश्रम में सूत काट रहे थे. अचानक एक जरुरी काम आ जाने की वजह से उन्हें जाना पड़ा. उन्होंने अपने एक सहयोगी से कहा, ‘ सूत के तारों को गिनकर एक तरफ रख देना और प्रार्थना से पहले मुझे संख्या बता देना. ‘ सहयोगी ने हाँ कह दिया. आश्रम में शाम को सभी अपने काते हुए सूतों की संख्या बताते थे. 

सहयोगी ने उनका काम नहीं किया और जब गांधी जी का नाम पुकारा गया तो वे सूतों की संख्या नहीं बता पाए. गांधी जी बहुत गंभीर हो गए. उन्होंने कहा, ‘ आज मैंने अपना कार्य किसी और के भरोसे छोड़ दिया. मैं मोह में था. मुझे लगा वे मेरा काम कर देंगे. मुझे अपना कार्य स्वयं ही करना चाहिए था. मैं अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा. 

(3)

जब गाँधी जी छोटे थे तब एक बार उन्होंने अपने भाई का सोना चुरा लिया था. लेकिन उनके इस कार्य का उनके बाल मन पर इतना बोझ पड़ा कि वे विचलित हो गए. उन्होंने अपने पिता को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने सारी सच्चाई स्वीकार कर ली. पिताजी ने जब पत्र पढ़ा तो वे बहुत नाराज हुए पर गाँधी जी के सत्य को स्वीकार करने के साहस के कारण पिता ने उन्हें माफ़ कर दिया. गांधीजी का कहना था कि अगर आपसे कोई अपराध या गलती हो भी गयी है तो उसे स्वीकार कर लें. सत्य स्वीकार करने से कोई छोटा नहीं होता बल्कि यह उसका बड़प्पन होता है. 

(4) 

गांधीजी का नाम मोहनदास था और उनकी माँ पुतलीबाई उन्हें प्यार से मोनिया कहकर बुलाती थी. मोहन अपनी माँ से बहुत प्यार करता था और उनकी हर बात ध्यान से सुनता था. उनके घर में एक कुंआ था. कुएं के चारों ओर पेड़-पौधे लगे थे. बच्चों को कुएं की वजह से पेड़ों पर चढ़ने की मनाही थी. लेकिन मोहन फिर भी पेड़ पर चढ़ जाता था. एक दिन मोहन के बड़े भाई ने मोहन को कुएं के पास वाले पेड़ पर चढ़ा हुआ देख लिया. उन्होंने मोहन को पेड़ से उतरने को कहा पर मोहन नहीं उतरा. भाई ने गुस्से में मोहन को चांटा मार दिया. 

रोता हुआ मोहन माँ के पास गया और बोला, ‘ माँ बड़े भैया ने मुझे चांटा मारा. आप भैया को डांट लगाओ.’

माँ काम में व्यस्त थी. मोहन माँ से बार- बार भैया के मारने की बात कहता रहा. माँ ने परेशान होकर कहा, ‘ उसने तुझे मारा है न ? जा तू भी उसे मार दे. मुझे अभी तंग मत कर मोनिया. ‘ 

आंसू पोंछते हुए मोहन ने कहा, ‘ माँ यह तुम क्या कह रही हो. तुम तो हमेशा कहती हो कि बड़ों का आदर करना चाहिए. तो मैं भैया पर हाथ कैसे उठा सकता हूँ ? हां तुम भैया से बड़ी हो इसलिए तुम भैया को समझा सकती हो कि वे मुझे ना मारे.’ 

मोहन की बात सुनकर माँ को अपनी भूल का अहसास हो गया. काम छोड़कर उन्होंने अपने बेटे मोहन को गले से लगा लिया. उनकी आँखों में ख़ुशी के आंसू थे. वे बोली, ‘ तू मेरा राजा बेटा है, मोनिया. आज तूने मुझे मेरी भूल बता दी. हमेशा सच्चाई और ईमानदारी की राह पर चलना मेरे लाल.’ 

(5) 

जब कराडी गाँव में नमक सत्याग्रह पहुंचा तो सुबह-सुबह गाँव वालों ने एक जुलूस निकाला. सबसे आगे स्त्रियाँ थी जिनके हाथ में राष्ट्रीय ध्वज था. बाजे भी बज रहे थे. लोगों के हाथों में फल-फूल और पैसे भी थे. 

लोगों ने आकर गांधीजी को प्रणाम किया और सारे उपहार उनके चरणों में रख दिए. गांधीजी ने पूछा , ‘ तुम लोग बाजे क्यों बजा रहे हो ? ‘ 

लोगों ने कहा, ‘हमारे गाँव में पीने के पानी का अकाल रहता है पर आपके आने से इस बार कुओं में पानी आ गया है. इसलिए हम लोग बाजे बजा रहे हैं.’ 

गांधीजी अपनी मुद्रा कठोर करते हुए बोले, ‘ मेरे आने और पानी का क्या सम्बन्ध है ? ईश्वर पर मेरा अधिकार नहीं है. उसके लिए जो मूल्य आपकी वाणी का है वहीँ मेरी वाणी का भी है. अगर किसी डाल पर कौआ बैठे, और डाल टूट जाए तो तुम कहोगे कि कौवे की वजह से डाल टूट गयी. कुओं में पानी आने के कई कारण हो सकते हैं. उस सत्य को जानो.’
 
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-आप को कैसा लगा comment करे ?
 

Essay on Positive Thinking in हिंदी

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कुछ लोगों को अपने ज्ञान और पद का बहुत घमंड होता है और अपने आगे वे किसी को कुछ नहीं समझते पर सच सिर्फ इतना है कि दुनिया के हर प्राणी और हर वस्तु से हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिल सकता है. हम कभी भी यह दावा नहीं कर सकते कि हम सर्व ज्ञानी है और हमें तो सब कुछ आता है. इसलिए चाहे हम जितने भी बड़े हो जाएँ पर रहते हमेशा एक विद्यार्थी ही हैं, जिसका सीखना जीवन पर्यंत जारी रहता है. 
हमारे जीवन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हर व्यक्ति, हमारे जीवन में घटित होने वाली हर घटना, यह प्रकृति, इसके सभी प्राणी और पेड़-पौधे बल्कि यूँ कहूँ कि संसार की हर वस्तु हमें कुछ ना कुछ सिखाती ही हैं. हम सभी ने बचपन में चींटी और मकड़ी की कहानी सुनी है. एक चींटी ऊँचाई पर चढ़ते समय कई बार गिरती है, लेकिन वह हार कर कभी नहीं ठहरती बल्कि अपनी कोशिश अनवरत जारी रखती है. तात्पर्य यह है कि एक चींटी और मकड़ी से मिली सीख भी हमारे जीवन की दिशा बदलने का मादा रखती है. 
अतः हमें कभी भी खुद को इतना महान और बड़ा नहीं समझ लेना चाहिए कि सीखने का हर द्वार हम यह सोचकर बंद कर दें कि हमें तो सब कुछ आता है, किसी की क्या औकात जो हमें कुछ सिखा और पढ़ा सके. याद रखिये - सर्वज्ञानी कोई नहीं होता. 
कई बार ऐसा होता है कि कोई हमारे विचार से सहमत नहीं होता और हमारा विरोध करता है, पर इसे सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए ना कि यह सोचना चाहिए कि विरोध करने वाला तो हमारा दुश्मन है और हमसे जलता है. हो सकता है वह हमारा दुश्मन भी हो और हमसे ईर्ष्या भी रखता हो, पर यह भी जरुरी नहीं कि उसकी कही हर बात गलत ही हो. 
रावण के बारे में हम सबने पढ़ा, सुना और देखा है. वह महाज्ञानी था लेकिन उसके एक गलत विचार से सारी लंका का सर्वनाश हो गया. उसके शुभचिंतकों ने उसे बहुत समझाया पर अपने अहम् में वह इतना अँधा हो गया कि उसने किसी की नहीं सुनी. महान से महान ज्ञानी व्यक्ति का भी कोई विचार गलत हो सकता है. इसलिए कभी भी अहम् में इतना अँधा नहीं होना चाहिए कि जो हमारा समर्थन करे वे हमें हमारे दोस्त और जो विरोध करे, वे हमें हमारे दुश्मन नज़र आने लगे. चापलूसों से हमेशा सावधान रहें.
अगर कोई विचार सचमुच अच्छा है और ग्रहण करने योग्य है तो उसका खुले दिल से स्वागत करना चाहिए. अपनी सोच को परिष्कृत करने का मार्ग हमेशा खुला रखना चाहिए और इस रास्ते में हमारा अहम् आड़े नहीं आना चाहिए. विचारों के विरोध और समर्थन को व्यक्ति का विरोध या समर्थन ना बनने दें, क्योंकि गलती तो कभी भी किसी से भी हो सकती है और कभी कोई सही भी हो सकता है. अतः मतभेद कभी मनभेद नहीं बनने चाहिए.
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Positive Thinking in हिंदी आर्टिकल

 
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कुछ लोगों को अपने ज्ञान और पद का बहुत घमंड होता है और अपने आगे वे किसी को कुछ नहीं समझते पर सच सिर्फ इतना है कि दुनिया के हर प्राणी और हर वस्तु से हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिल सकता है. हम कभी भी यह दावा नहीं कर सकते कि हम सर्व ज्ञानी है और हमें तो सब कुछ आता है. इसलिए चाहे हम जितने भी बड़े हो जाएँ पर रहते हमेशा एक विद्यार्थी ही हैं, जिसका सीखना जीवन पर्यंत जारी रहता है. 

हमारे जीवन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हर व्यक्ति, हमारे जीवन में घटित होने वाली हर घटना, यह प्रकृति, इसके सभी प्राणी और पेड़-पौधे बल्कि यूँ कहूँ कि संसार की हर वस्तु हमें कुछ ना कुछ सिखाती ही हैं. हम सभी ने बचपन में चींटी और मकड़ी की कहानी सुनी है. एक चींटी ऊँचाई पर चढ़ते समय कई बार गिरती है, लेकिन वह हार कर कभी नहीं ठहरती बल्कि अपनी कोशिश अनवरत जारी रखती है. तात्पर्य यह है कि एक चींटी और मकड़ी से मिली सीख भी हमारे जीवन की दिशा बदलने का मादा रखती है. 

अतः हमें कभी भी खुद को इतना महान और बड़ा नहीं समझ लेना चाहिए कि सीखने का हर द्वार हम यह सोचकर बंद कर दें कि हमें तो सब कुछ आता है, किसी की क्या औकात जो हमें कुछ सिखा और पढ़ा सके. याद रखिये - सर्वज्ञानी कोई नहीं होता. 

कई बार ऐसा होता है कि कोई हमारे विचार से सहमत नहीं होता और हमारा विरोध करता है, पर इसे सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए ना कि यह सोचना चाहिए कि विरोध करने वाला तो हमारा दुश्मन है और हमसे जलता है. हो सकता है वह हमारा दुश्मन भी हो और हमसे ईर्ष्या भी रखता हो, पर यह भी जरुरी नहीं कि उसकी कही हर बात गलत ही हो. 

रावण के बारे में हम सबने पढ़ा, सुना और देखा है. वह महाज्ञानी था लेकिन उसके एक गलत विचार से सारी लंका का सर्वनाश हो गया. उसके शुभचिंतकों ने उसे बहुत समझाया पर अपने अहम् में वह इतना अँधा हो गया कि उसने किसी की नहीं सुनी. महान से महान ज्ञानी व्यक्ति का भी कोई विचार गलत हो सकता है. इसलिए कभी भी अहम् में इतना अँधा नहीं होना चाहिए कि जो हमारा समर्थन करे वे हमें हमारे दोस्त और जो विरोध करे, वे हमें हमारे दुश्मन नज़र आने लगे. चापलूसों से हमेशा सावधान रहें.

अगर कोई विचार सचमुच अच्छा है और ग्रहण करने योग्य है तो उसका खुले दिल से स्वागत करना चाहिए. अपनी सोच को परिष्कृत करने का मार्ग हमेशा खुला रखना चाहिए और इस रास्ते में हमारा अहम् आड़े नहीं आना चाहिए. विचारों के विरोध और समर्थन को व्यक्ति का विरोध या समर्थन ना बनने दें, क्योंकि गलती तो कभी भी किसी से भी हो सकती है और कभी कोई सही भी हो सकता है. अतः मतभेद कभी मनभेद नहीं बनने चाहिए...

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Thursday, 16 January 2014

Anna Hazare Quotes in Hindi

            जो अपने लिए जीते हैं वो मर जाते हैं , जो समाज के लिए मरते हैं वो जिंदा रहते हैं .
Name Kisan Babu Rao Hazare / किसन बाबुराव हजारे
Born 15 June 1937 (age 74) Bhingar, Bombay Province, British India
Nationality Indian
Field Social Work
Achievement A well-known social activist known for fighting for various noble causes.Indian anti-corruption movement – (Lokpal Bill),Watershed development programmes,Right to Information, Padma Shri (1990),Padma Bhushan (1992)

अन्ना हजारे के अनमोल विचार  

Quote 1: Lakhs of people sacrificed their lives for freedom but due to selfishness of some people we have not got the right freedom.
In Hindi: स्वतंत्रता  के  लिए  लाखों  लोगों  ने  अपना  जीवन  बलिदान  कर  दिया  लेकिन  कुछ  स्वार्थी  लोगों  के  कारण हमें सही  स्वतंत्रता  नहीं  मिली .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 2: I want to tell the youth of this country that this fight should not be stopped with Lokpal alone. We have to fight for removing the faults of the present electoral reforms. Because of the fault in electoral system, 150 criminals have reached Parliament.
In Hindi: मैं  इस  देश  के  युवाओं  से  कहना  चाहता  हूँ  कि  यह  लड़ाई  लोकपाल  के  साथ  ख़तम  नही  होनी  चाहिए . हमें   मौजूदा  चुनावी  सुधारों  में  मौजूद  खामियों  को  दूर  करने  के  लिए  लड़ना  है .  क्योंकि  चुनाव  प्रणाली  में  दोष  के  कारण  150 अपराधी  संसद  तक  पहुच  चुके  हैं .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 3: Yesterday my Blood Pressure was down, but today it is back in control because the strength of the nation is behind me.
In Hindi: कल  मेरा  रक्त  चाप  कम  था  , लेकिन  आज   यह  फिर  से  नियंत्रण  में  है  क्योंकि  देश  की  ताकत  मेरे  पीछे  है .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 4:  This government doesn’t have the will to setup an effective Lokpal.
In Hindi: इस  सरकार  में  एक  प्रभावी  लोकपाल  लाने की  इच्छा  नहीं  है .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 5: After Lokpal, we will also have to fight for farmers’ rights, bring a law that ensures permission of gram sabhas before land acquisition.
In Hindi: लोकपाल  के  बाद , हमें  किसानो  के  अधिकार  के  लिए  लड़ना  होगा , एक  ऐसा  क़ानून  लाना  होगा  जो  सुनिश्चित  करे  कि भूमि   अधिग्रहण  से  पहले  ग्राम  सभाओं  की  अनुमति  लेना  अनिवार्य  होगा .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 6:  The same loot, same corruption, same rowdyism still exists.
In Hindi: वही  लूट , वही  भ्रष्टाचार  , वही  उपद्रवता  अभी  भी  मौजूद  है .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 7: I Request the people of my country to continue this kranti. People should continue to fight even if I am not there.
In Hindi: मैं  इस  देश  के  लोगों  से  अनुरोध  करता  हूँ  कि  इस  क्रांति  को  जारी  रखें  . मैं  ना  हूँ  तो  भी  लोगों  को  संघर्ष  जारी  रखना  चाहिए .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 8:  I have lost 5 and a half kg, nothing big, I am fine.
In Hindi: मेरा वज़न साढ़े पांच  किलो कम हुआ   है , कुछ  ज्यादा  नही , मैं  ठीक  हूँ .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 9:  I am worried what will happen to a country that is governed by some who are insensitive. But we can change them by Jan Shakti.
In Hindi: मैं  चिंतित  हूँ  कि  कुछ  असंवेदनशील  लोगों  द्वारा  शाशित  इस  देश   का  क्या  होगा . लेकिन  हम  उन्हें  जनशक्ति  द्वारा  बदल  सकते  हैं .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 10:  The government’s money is the people’s money. Make effective policies for the benefit of the people.
In Hindi: सरकार  का  पैसा  लोगो  का  पैसा  है . लोगों  के  भले  के  लिए  प्रभावी  नीतियां  बनाएं .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 11: We are ready to talk to the government but there is no communication from their side. Where should we go to talk and whom should we talk to.
In Hindi: हम  सरकार  के  साथ  काम  करने  को  तैयार  हैं  लेकिन  उनकी  तरफ  से  कोई  संवाद  नहीं  है .हम  बात  करने  कहाँ  जाएं  और  हम  किससे  बात  करें ?
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 12:  Is this democracy? All have come together to make money.I would consider myself lucky if I die for my society, the people of my country.
In Hindi:  क्या यह लोकतंत्र  है ?सभी एक साथ पैसा बनाने आये हैं.मैं खुद को सौभाग्यशाली समझूंगा अगर मैं अपने समाज , अपने देशवाशियों  के लिए मरता हूँ.
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 13:  My demands will not change. You can cut off my head but not force me to bow down.
In Hindi: मेरी  मांगें  बदलेंगी  नहीं  . आप  मेरा  सर  काट  सकते  हैं  लेकिन  मुझे सर  झुकाने  के  लिए  मजबूर  नहीं  कर  सकते .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 14:  Those who live for themselves die, those who die for the society live.
In Hindi: जो  अपने  लिए  जीते  हैं  वो  मर  जाते  हैं , जो  समाज  के  लिए  मरते  हैं  वो  जिंदा रहते  हैं .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 15:  The country did not get actual freedom even after 64 years of independence and the only change was that the whites have been replaced by the blacks. (MensXP.com)
In Hindi: देश  को  वास्तविक  स्वतंत्रता आज़ादी  के  64 साल  बाद  भी  नहीं  मिली  और  केवल  एक  बदलाव  आया  गोरों  की  जगह  काले  आ   गए .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
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Note: Despite taking utmost care there could be some mistakes in Hindi Translation of Anna Hazare Quotes .
निवेदन: कृपया अपने comments के माध्यम से बताएं कि  Anna Hazare Quotes का हिंदी अनुवाद आपको कैसा लगा.